
19 साल की उम्र में 8 सदस्यों के लिए कुएं में उतर भरती है पानी: यहां की चंदाबाई (19) अपने परिवार के 8 सदस्यों के लिए पीने का पानी भरने के लिए कुएं में उतरती हैं। हथेलियों में पानी लेकर बर्तन भरती हैं। उन्होंने बताया कि गांव में दो कुएं हैं, दोनों में पानी नहीं है। यह गांव आदिवासियों का है, इसलिए सरपंच और अधिकारी भी ध्यान नहीं देते हैं। पिछले साल तीन लाख रुपए की राशि कुएं के नाम पर निकाल ली गई, लेकिन मलबा नहीं निकाला गया।
मजबूरी : गांव के तीन हैंडपंप खराब
गांव में तीन हैंडपंप हैं, लेकिन तीनों बंद हैं। कुछ समय पहले ग्रामीणों ने चंदा करके हैंडपंप ठीक कराए थे, लेकिन अब फिर से खराब हो गए हैं। जलस्तर नीचे चला गया है। गांव की ममता रानी, गुलाब बाई, श्यामबाई आदिवासी ने बताया कि कुएं की सफाई के लिए कई बार शिकायत की लेकिन समाधान नहीं मिला।
गांव की सीताबाई ने बताया कि कुएं में सीढ़ियां नहीं हैं। रस्सी हाथ में लेकर नीचे उतरना पड़ता है। कई बार लड़कियां और लड़के गिरकर घायल भी हो चुके हैं। बुजुर्ग राम कुमार खरे ने बताया कि तलैया और कुएं का पानी दूषित है। बर्तन धोने और नहाने के लिए पानी योग्य बनाने से पहले उसमें फिटकरी डाली जाती है। गंदगी जमने के बाद ही उसका उपयोग किया जाता है।
हालात : यहां ज्यादा समस्या
गांव के रमेश आदिवासी ने बताया कि पूरे गांव में पीने योग्य पानी नहीं है। लरगुंवा गांव में पानी भरने यहां से दो किमी दूर जाना पड़ता है। इस संबंध में पीएचई के ईई केएस पवार का कहना है कि मुझे अभी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। यदि ऐसे हालात हैं तो मैं स्वयं जाकर देखता हूं।