BALAGHAT SAMACHAR | आनंद ताम्रकार | मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के जस्टिस श्री सी व्ही सिरपुरकर की खण्डपीठ ने बालाघाट जिले के लालबर्रा में संचालित SHIVAJI GROUP OF EDUCATION के संचालक महेन्द्र सारवे की जमानत याचिका खारिज कर दी। माननीय उच्च न्यायालय ने कहा है की 800 छात्रों के भविष्य से खिलवाड करना अक्षम्य आरोप है आरोपित ने प्रथम दृष्टया छात्रों से 4 करोड रूपये ऐंठ कर वह 3 सालों से फरार है ऐसे आरोपी को आग्रिम जमानत नही दी जा सकती।
महेन्द्र सारवे की ओर से आवेदन पेश किया गया था उसके अनुसार उस पर पुलिस ने धोखाधडी का झूठा मामला दायर कर दिया है। जबकि अभियोजन के अनुसार बालाघाट जिले के लालबर्रा में आरोपित महेन्द्र सारवे ने खुद को शिवाजी ग्रुप आॅफ एजुकेशन सेंटर का डायरेक्टर बताते हुये डीएलएड, बीएड, कालेज का संचालन शुरू किया। सन 2014 में उसने छात्रों को झूठी जानकारी देकर उन्हें गुमराह करते हुये अपने कालेज में डीएलएड कोर्स में प्रवेश की लिये झांसा दिया उसने प्रचारित किया की उसकी संस्था नीड फाउण्डेशन दिल्ली की सहयोगी है इसे कर्नाटक ओपन यूनिवर्सिटी एवं मध्यप्रदेश सरकार से मान्यता प्राप्त है।
उसके इस झांसे में फंसकर लगभग 800 छात्रों ने डीएलएड में प्रवेश लिया इन सभी छात्रों से आरोपी ने 50-50 हजार रूपये बतौर फीस जमा करवाये बाद में छात्रों को जानकारी लगी की संस्था फर्जी है तब छात्रों ने 2015 में जिले के रामपायली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई पुलिस ने आरोपी के विरूद्ध धारा 420 के तहत प्रकरण दर्ज किया।
सुनवाई के दौरान अग्रिम जमानत की अर्जी का विरोध करते हुये शासकीय अधिवक्ता ने अवगत कराया की विवेचना के दौरान पुलिस दल दिल्ली में बताये गये नीड फाउण्डेशन की तलाश में गया था लेकिन वहां पर दर्शाये गये पते पर इस नाम की कोई संस्था नही मिली। इसी तरह मध्यप्रदेश, कर्नाटक स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी और एनसीटीई ने आरोपी की शिक्षण संस्था को मान्यता नही दी। आरोपी 3 साल से फरार था और जांच के लिये उसे हिरासत में लेना जरूरी है। इसी लिये आरोपी को अग्रिम जमानत नही दी जा सकती।