अथ नर्मदा यात्रा समापन कथा | EDITORIAL

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। 9 अप्रैल 2018 और दिग्विजय सिंह भी नर्मदा परिक्रमा से वापिस लौट आये। हर नर्मदा परिक्रमावासी वापिस लौटता है, अपने- अपने अनुभव लेकर। पिछले कुछ वर्षो से इस नितांत व्यक्तिगत धार्मिक आस्था का भी राजनीतिकरण हुआ है और सरकारें भी “नमामि नर्मदे” कहने-करने लगी। अपने वेग, संवेग और पवित्रता के लिए जाने-जाने वाली प्रदेश की जीवन रेखा  नर्मदा के मातृत्व स्वरूप का राजनीति से जबरिया गठ्बन्धन किया जाने लगा। कोई जबरन पेड़ लगाने की कलाबाज़ी दिखाने लगा तो कोई उन पेड़ों की जड़ें तलाश ने निकल पड़ा। किसी के भाई-बन्धु ने नर्मदा की सीने में पोकलैंड मशीन उतार दी, तो कोई पोकलैंड से बने घावों को गिनने के लिए नर्मदा में उतर गया। बरमान घाट पर पिछले दो दिन में नर्मदा जल यूँ ही नहीं पहुंचा है। इसके पीछे भी बड़े-सड़े राजनीतिक समीकरण उछल रहे हैं।

प्रदेश में सिंचाई विभाग के बांधों से पानी छोड़ने की परिस्थतियों की निर्देश्नुमा किताबें है। जिनमे किसान की मांग, उसका आकलन,आस-पास के जिलाध्यक्षों से ताल-मेल, मुनादी, सायरन आदि सब कुछ लिखा है। इस सबको पढ़े बगैर, खेत अभी जुत ही रहे है, किसी ने पानी की मांग भी नहीं की और बरमान घाट पर नर्मदा का पानी बरगी बांध से छोड़ दिया गया। हमेशा बरगी से ही आता है, पर ऐसे नहीं आता। इस बार आये पानी के पीछे कुछ छिपी कहानी है, जितने मुंह उतनी बातें। कोई इसे दिग्विजय सिंह की यात्रा समापन समारोह को बिगाड़ने की साजिश कह रहा है तो कोई इसे रेत-खुदाई का पर्दा नाम दे रहा है तो कोई इसे राजनीतिक सौजन्य का तोहफा बता रहा है। एकाएक पानी छोड़ने से जिन छोटे लोगों का नुकसान होना था, हो गया | ये लोग तो बने ही इसीलिए है।

जानकारी के लिए बरगी बांध नर्मदा नदी पर बना वृहद बांध है यह बांध जबलपुर के पास स्थित है। इस बांध का कार्य सन् १९७४ में प्रारंभ हुआ था एवं १९९० में यह पूर्ण हो गया था। यह एक बहुउद्देशीय बांध है तथा इसके जलाशय से मत्स्य उद्योग एवं पर्यटन को भी बढ़ावा मिला है। यह सयुक्त रूप से ५३५७ मीटर लम्बा मिट्टी के बांध के साथ ८२५ मीटर लम्बा मेसनरी बांध है। परियोजना के बायीं तट नहर योजना के द्वारा जबलपुर एवं नरसिंहपुर जिलों के २,१९ ८०० हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की जा रही है। इस जलाशय से १७० मिलियन घन मीटर पेयजल की आपूर्ति भी हो रही है। बरगी बांध से ९० मेगावाट जल विद्युत का उत्पादन भी हो रहा है तथा बायीं एवं दायीं तट नहर से १० मेगावाट विद्युत का उत्पादन भी हो रहा है। बरगी परियोजना की अनुमानित लागत ५६६.३४ क़रोड़ रू थी।

एक और तर्क भी बांध के प्रबंध कर्ताओं की और से उछाला गया हैं की दिग्विजय सिंह का कार्यक्रम अच्छे से हो सके इसके चलते प्रशासन ने बरगी बांध के गेट खोल, नर्मदा में पानी की कमी को तो दूर किया गया है। सच है किसी वी आई पी के साथ एक घाट पर उतरने का आनंद ही कुछ और है। कोई कुछ भी तर्क दे जिनका, जितना फायदा-नुकसान होना था हो गया। जिन्हें राजनीतिक सौजन्य का निर्वाह करना था किया। जिसे सब देखने के बाद चुप रहना था यह नर्मदा जल उनके लिए आवरण बन गया। नर्मदा यात्रा कर पोल-खोल का शोर मचाने वाले राज्य मंत्री हो गये। नर्मदा जी फिर किसी यात्री की बाट जोह रही है, पर वीआईपी यात्रियों से उनका मन खट्टा हो गया है। नर्मदे हर!
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!