योगेन्द्र सिंह पवार/होशंगाबाद। कार्यपालक अधिकारी की अपने स्टेनो, वैयक्तिक सहायक, निजी सचिव के साथ घनिष्ठता और विश्वसनीयता स्टॉफ के अन्य अधिकारी/कर्मचारियों से कहीं अधिक हुआ करती है। यही घनिष्ठता कर्मचारी के मनोबल, अधिकारी के प्रति सम्मान और विश्वास का पैमाना है। इस विषय में गैर-सचिवालयीन स्टेनोग्राफर्स का अनुभव बीते ढाई दशक में अच्छा नहीं रहा। इस संवर्ग की वेतन और पदोन्नति विसंगतियों के निराकरण में सरकारों से तो उपेक्षा मिली ही, प्रशासनिक अधिकारियों ने भी कोई खास तवज्जो नहीं दी।
बिरले ही अधिकारी रहे होंगे, जिन्होंने इस संवर्ग की पीड़ा को समझा। सोचिये, 1972 में अपने से निचले संवर्ग को आज अपने से कहीं अधिक वेतनमान और पदोन्नति अवसर पाते देख कैसी उपेक्षा और पीड़ा का अनुभव करता होगा संवर्ग । और यह उपेक्षा सिर्फ इसलिये कि, इस संवर्ग में कर्मचारियों की संख्या बमुश्किल 1200 है, इसके पास बड़ा वोट बैंक नहीं है, इसका कोई शासकीय मान्यताप्राप्त संघ नहीं है।
प्रदेश में लगभग 20 कर्मचारी संघों को चुनावी साल में साधने का दबाव सरकार पर है। ऐसे में हजार-बारह सौ की संख्या वाले संवर्ग की आवाज नक्कारखाने में तूती से अधिक नहीं होगी। दिनॉंक 25 अपै्रल,2018 को मुख्यमंत्री के इन्दौर प्रवास के दौरान स्टेनोग्राफर्स संवर्ग ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर वेतन और पदोन्नति अवसरों की विसंगतियों से अवगत् कराया। बताया कि, किस तरह समयमान वेतनमान में भी इस संवर्ग को न्यूनतम वेतन मिल रहा है।
विधि एवं विधायी विभाग, वन विभाग, लोक निर्माण विभाग, गृह विभाग व कुछ अन्य विभागों में वित्त विभाग द्वारा स्वीकृत समयमान वेतनमान के आदेशों और संवर्ग में नगण्य पदोन्नति अवसरों पर ध्यान आकृष्ट कराया और ज्ञापन में सुझाये अनुसार स्टेनोग्राफर का प्रारम्भ्कि वेतनमान 9300-34800 ़2800, प्रथम उच्चतर समयमान वेतनमान 9300-34800 ़4200, द्वितीय उच्चतर वेतनमान 15600-39100़ 5400, तृतीय उच्चतर वेतनमान 15600-39100़ 6600 तथा चतुर्थ उच्चतर वेतनमान 15600-39100़ 7600 स्वीकृत कर मॉंगों के सहज निराकरण का अनुरोध किया । 20 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर सीधी भर्ती और पदोन्नति से भरे जाने वाले वेतनमान 6500-10500 के पदों को राजपत्रित घोषित किये जाने विषयक आदेश के संदर्भ में पदोन्नति के कम प्रावधान होने से 20 वर्ष में समयमान वेतनमान से 6500-10500 वेतनमान प्राप्त कर लेने पर ऐसे पदधारी को राजपत्रित सेवा घोषित किये जाने की मॉंग की।
भेंट के दौरान इन्दौर कलेक्टर की सहृदयता, संवेदनशीलता के लिए बीएल वर्मा, नलिन पाठक, केदार रावल, जितेन्द्र पाल, शाहिद खान, आरडी माहोर और अन्य साथियों ने आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस संवर्ग की भावनाओं, समस्याओं को समझा । उम्मीद है, मुख्यमंत्री जी ज्ञापन को राजनीतिक लाभ-हानि से न देखकर, भर्ती प्रक्रिया, शैक्षिक अर्हता, सेवा शर्तों, कर्त्तव्य प्रकृति को आधार मानते हुए समान कार्य-समान वेतन के आधार पर नैसर्गिक न्यायसिद्धान्त में विश्वास रखते हुए इस छोटे से संवर्ग को अन्याय और उपेक्षा से निजात दिलायेंगे।