नई दिल्ली। अगर आप भी नौकरीपेशा है तो यह खबर आपको खुश कर देगी. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के 5 करोड़ से अधिक ग्राहकों को जल्द ही अपने भविष्य निधि कोष में से एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) के जरिये शेयरों में निवेश बढ़ाने या घटाने का विकल्प मिल सकता है। ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की बैठक में इस बारे में संभावना तलाशने का फैसला किया। फिलहाल ईपीएफओ के अंशधारकों के पास ऐसा कोई विकल्प नहीं है। यह निकाय अपनी निवेश योग्य जमाओं का 15 प्रतिशत हिस्सा ईटीएफ में निवेश करता है।
अभी 15 फीसदी होता है निवेश
सीबीटी की बैठक में शेयर धारकों को शेयर बाजार से ज्यादा से ज्यादा रिटर्न देने पर चर्चा हुई। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि पीएफ अकाउंट होल्डर को यह ऑप्शन मिल सकता है कि वे अपने फंड का 15 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा शेयर बाजार में निवेश कर सकें। इसके अलावा आप शेयर मार्केट में निवेश की सीमा को घटा भी सकते हैं। यानी अब शेयर मार्केट में आपके फंड का कितना हिस्सा होगा, यह आप तय कर सकते हैं। अभी तक खाताधारकों के पास यह विकल्प नहीं होता।
शेयर बाजार से मिला अच्छा रिटर्न
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने पिछले 2 साल के दौरान खाताधारकों के पीएफ का पैसा शेयर बाजार में लगाकर अच्छा रिटर्न लिया है। ईपीएफओ की तरफ से जारी किए डाटा के मुताबिक ईपीएफओ ने अगस्त 2015 से 28 फरवरी 2018 के बीच ईटीएफ में 41967.51 करोड़ रुपये का निवेश किया था। इस दौरान ईपीएफओ को 17.23 फीसदी का रिटर्न मिला। शेयर बाजार से मिल रहे बेहतर रिटर्न को देखते हुए ईपीएफओ ने निवेश की सीमा को बढ़ाने की मांग की थी।
2015 से शुरू हुआ था शेयर बाजार में निवेश
ईपीएफओ ने अगस्त 2015 से शेयर बाजार में निवेश शुरू किया था। वित्त वर्ष 2015-16 में पीएफ का 5 फीसदी निवेश किया गया। इस निवेश को अगले साल 2016-17 में बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया गया. अगले फाइनेंशियल ईयर 2017-18 में इसे बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया गया।
पेंशनधारकों को मिल सकती है खुशखबरी
पिछले दिनों खबर आई थी कि सरकार पेंशनधारकों को एम्प्लॉई पेंशन स्कीम के तहत मिलने वाली न्यूनतम राशि को दोगुना कर सकती है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ के तहत ईपीएस सब्सक्राइबर्स के लिए मासिक पेंशन को दोगुना करके 2,000 रुपये किया जा सकता है। इससे करीब 40 लाख सब्सक्राइबर्स को फायदा होगा और सरकार पर सालाना 3000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा। इस पर अंतिम फैसला अगले साल होने वाले चुनाव से पहले लिया जा सकता है।