जबलपुर। अपने पद और रुतबे का गलत इस्तेमाल करते हुए घर की बहू पर पूर्व डीजीपी ने 9 राज्यों में 45 आपराधिक केस दर्ज करवा दिए। महिला दर-बदर इंसाफ के लिए भटकती रही और अंत में उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां पर आखिर उसको राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय न्यायपीठ ने ऑल इंडिया वूमेन्स कॉफ्रेंस की जबलपुर इकाई की अध्यक्ष गीता शरत तिवारी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश के जरिए थाई मूल की महिला अनीशा दत्त और उसके 3 बच्चों के खिलाफ पुलिस द्वारा कोई भी कठोर कार्रवाई किए जाने पर रोक लगा दी।
इसी के साथ केन्द्र शासन-गृह सचिव, महाराष्ट्र शासन-गृह सचिव, मुंबई के पुलिस कमिश्नर, ज्वाइंट कमिश्नर क्राइम, मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव और डीजी पुलिस हेडर्क्वाटर को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया।
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान पीड़ित महिला व उसके बच्चों की ओर से जबलपुर के अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह ने पक्ष रखा। उन्होंने अवगत कराया कि मध्यप्रदेश के पूर्व डीजीपी सीनियर आईपीएस आरजे खुराना ने अपने रसूख का गलत इस्तेमाल करके अपने बेटे आशु दत्त की पत्नी और अपनी बहू अनीशा दत्त के खिलाफ महाराष्ट्र सहित देश के 9 राज्यों में 45 आपराधिक केस दर्ज करा दिए हैं।
विवाह के 19 साल होने के बाद पति-पत्नी के बीच विवाद शुरू हो गया। तीन बच्चे होने के बावजूद दोनों एक साथ रहने तैयार नहीं थे। लिहाजा, अलग-अलग रहने लगे। इस बीच ससुर खुराना ने बहू से पी़छा छुड़ाने के लिए अपने पॉवर का मिसयूज शुरू कर दिया।
मुंबई में 7 कंपनियों की मालकिन है बहू
थाई मूल की अनीशा का परिवार 250 साल पहले भारत से थाईलैंड जाकर बस गया था। वह एक अमीर घराने की बेटी है। इसीलिए मुंबई में 7 कंपनियों की मालकिन है। इस अकूत संपदा को छीनने की मंशा से ससुर ने बहू को अपराधी घोषित कराने ऐडी-चोटी का जोर लगा दिया। भोपाल के हबीबगंज थाने में 7 साल पहले दस्तावेज चोरी का केस दर्ज कराया गया। दोष यह भी मढ़ा गया कि उन्हीं कागजात के सहारे अनीशा मुंबई में 7 कंपनियों की मालकिन बन गई है।
भोपाल में दर्ज इसी अपराध को निरस्त कराने सेशन कोर्ट भोपाल से झटका खाकर अनीशा जबलपुर आई, जहां अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह ने मुलाकात हुई। जिन्होंने सलाह दी कि इतनी बड़ी लड़ाई अकेली महिला नहीं लड़ पाएगी, इसके लिए एक मजबूत महिला हितैषी संगठन की शरण ली जाए।
लिहाजा, ऑल इंडिया वूमेन्स कॉफ्रेंस की जबलपुर इकाई की अध्यक्ष गीता शरत तिवारी को 10 पन्नों की शिकायत सौंपी गई। जिस पर गौर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर कर दी गई।