भोपाल। ग्वालियर में भारत बंद के दौरान जबरन बाजार बंद कराने निकले प्रदर्शनकारियों ने केवल बाजार ही बंद नहीं कराया बल्कि राह चलते लोगों को भी परेशान किया। रोड पर चल रहे वाहनों पर पत्थर फैंके गए। इस बीच एक कॉलेज की बस को प्रदर्शनकारियों ने तोड़ दिया था। इसी हमले में घायल हुई छात्रा प्रियांशी ने पूरा घटनाक्रम बयान किया है कि भीड़ ने बस में सवार छात्र छात्राओं के साथ कैसा व्यवहार किया।
मैं रोजाना की तरह बस में बैठकर कॉलेज जा रही थी। बस जब थाटीपुर पहुंची तो बहुत सारे लोग हमारी बस की तरफ दौड़ कर आ रहे थे और सभी के हाथ में डंडे थे उन सभी लोगों के चेहरे पर कपड़े बंधे थे। ड्राइवर बस छोड़कर भाग गया था। हम लोग बस में बैठे थे और हमें उम्मीद थी कि वो लोग हमें परेशान नहीं करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, उन लोगों ने बसों के कांच फोड़ना शुरू कर दिए और वो कांच हमारे सिर, हाथ व चेहरे पर तेजी से जाकर लगे। जिससे मैं ही नहीं बल्कि मेरी साथी भी घायल हो गईं।
इसके अलावा उन लोगों ने बस में अंदर चढ़कर गलत तरीके से बात कर बदतमीजी भी की। वो गंदी गालियां दे रहे थे। इन लोगों को किसी व्यवस्था से परेशानी है, तो उसका विरोध शासन-प्रशासन के स्तर पर करना चाहिए था। हमें या दूसरे लोगों से मारपीट करके क्यों भय का माहौल बनाया जा रहा है।
बच्चे को लेने जा रहे थे, साइकिल की हवा निकाल दी
वहीं, बड़ा गांव निवासी अशोक पांडे ने कहा- उनकी बेटी बीमार है। बेटा प्रणव प्रगति विद्यापीठ में कक्षा 5 का छात्र है। स्कूल से फोन आया कि वे बच्चे को ले जाएं। जब वे साइकिल से मुरार थाने के पीछे वाली गली से स्कूल जा रहे थे तभी जय भीम का नारा लगाते हुए भीड़ ने उन्हें रोक लिया। कुछ युवकों ने साइकिल की हवा निकाल दी। वे पांच घंटे तक भीड़ में फंसे रहे और शाम 4 बजे घर पहुंचे जबकि छुट्टी 11 बजे हो चुकी थी।
पुलिस की मदद से पहुंचे छात्र
ग्वालियर ग्लोरी स्कूल के हाईस्कूल छात्र डीडी नगर में ग्रीनवुड स्कूल सेंटर पर परीक्षा देने जा रहे थे, तभी गोला का मंदिर पर बस भीड़ के बीच में फंस गई। स्कूल प्रबंधन ने सूचना पुलिस को दी तो पुलिस सुरक्षा में बच्चों को सेंटर तक पहुंचाया गया पर वे कुछ लेट हो चुके थे। प्रगति विद्यापीठ स्कूल प्रबंधन ने भी हजीरा क्षेत्र में बच्चों को घर तक पहुंचाने में पुलिस की मदद ली।