नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाया गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे सही मानते हुए अनुरोध किया है कि वह अपनी किताब में लिखे कुछ हिस्सों को हटा दें। अदालत की तरफ से कहा गया है कि इससे हिंदु भावनाएं आहत हो रही हैं। जज प्रतिभा एम सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति को नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई की तारीख 30 जुलाई तय की है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी भी की कि इस मामले पर फैसला बहुत पहले हो जाना चाहिए था। निचली अदालत ने लापरवाही की।
दिल्ली हाईकोर्ट में यह अपील 30 नवंबर 2016 को निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति की "पुस्तक टरबुलेंड इयर्स 1980-1996" से कुछ सामग्रियों को हटाने की मांग को खारिज कर दिया था। बता दें कि यह मामला एक सामाजिक कार्यकर्ता यू सी पांडे ने दायर किया था। उन्होंने 1992 के अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बारे में किताब के कुछ हिस्सों पर अपनी आपत्ति हाजिर की थी। उन्होंने कहा कि किताब में लिखी कुछ लाइनें ऐसी हैं, जिससे हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।
5 सितंबर 2016 को प्रकाशित हुई किताब
हाईकोर्ट से उन्होंने कहा कि किताब के प्रकाशित होने के तत्काल बाद इस पर कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन निचली अदालत ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। पूर्व राष्ट्रपति की यह किताब 5 सितंबर 2016 को प्रकाशित हुई थी। वहीं तत्कालीन राष्ट्रपति के वकील ने ट्रायल कोर्ट से पहले याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह उचित नहीं है। जबकि अभियोजन पक्ष की तरफ से मामले को गंभीर और हिंदुओं की भावनाओं से जोड़कर रखा गया।