भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुंह से भी नौकरशाही की तरफ से आ रही परेशानी निकल ही गई। उन्होंने प्रदेश के ब्यूरोक्रेटस को अहंकारी बताते हुए IAS-IPS के बीच चलने वाले तनाव की तुलना भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव से कर दी। मुख्यमंत्री ने आज प्रशासन अकादमी में सिविल सर्विस डे पर टॉप ब्यूरोक्रेट्स को नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि अफसर ईगो न पालें, न ही आठ घंटे की ड्यूटी समझे, काम करने के लिए मिशन के तहत जुटे।
सब ‘परफैक्ट’ नहीं है
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कई अफसर काम के प्रति जुनूनी हैं तो कोई लकीर का फकीर। उन्होंने कहा कि अफसर यह बिल्कुल न समझें कि उनकी नौकरी सुबह 10 से शाम 5 बजे तक की है। सेवा एक मिशन है जिससे देश को बदला जा सकता है। प्रदेश में ‘सब परफैक्ट’ नहीं है लेकिन पहले से अच्छे काम हुए हैं। कई बार इनके ईगो और गुटबाजी से भारत-पाकिस्तान जैसे हालात लगने लगते हैं।
20 हजार लोगों से मिलाता हूं हाथ
मुख्यमंत्री ने अफसरों से कहा कि मैं एक दिन में 20 हजार लोगों से हाथ मिला लेता हूं। इससे मुझे लोगों से जुड़ने का मौका मिलता है। 24 घंटे बिजली देने के लिए साथियों ने मना किया। लेकिन हमने ये कर के दिखाया। सिंचाई के क्षेत्र में भी रकबा बढ़ा है। सड़कों का जाल बिछा है। कृषि में अवार्ड मिला है।
उपमा दी है हालात खराब नहीं: सीएस
मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री द्वारा अफसरों के इगो की तुलना भारत-पाक से किए जाने पर कहा यह उपमा है ब्यूरोक्रेसी में हालात खराब नहीं है। उन्होंने कहा कि सिविल सर्विस डे सिस्टम का आज अंग्रेजों का कोई लेना देना नहीं है। ये सिस्टम पूरी तरह से इंडियन है।
शिवराज सिंह के भाषण की महत्वपूर्ण बातें
आप परिणाम देने वाले अधिकारी हैं, इसलिए पसंद और नापसन्द के आधार पर व्यक्ति को ना चुनें, बल्कि जो उस काम के लिए परफेक्ट हो, उसे अवसर दीजिये।
आवश्यक नहीं कि हमें सफलता हर बार प्राप्त हो, कभी असफल भी होना पड़ता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि उस असफलता से हताश हो कर रह जाएँ, हमारा प्रयास महत्व रखता है। पुनः कोशिश करके सफलता हासिल करेंगे यही हमारी सोच होनी चाहिए।
हम किसी भी क्षेत्र में हों अच्छा काम तभी कर सकते हैं जब हम सभी को समानता की दृष्टि से देखें। हम किसी एक सेवा से बंधे नहीं हैं, हम सभी का लक्ष्य एक ही है जनता, प्रदेश व देश की सेवा।
नियम व प्रक्रियाएँ कई मामलों में आड़े आती हैं ऐसे में सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ संवेदना भी साथ है तो हर कार्य पूर्ण होना ही होना है, नियम, प्रक्रियाएं व व्यवस्थाएँ ऐसी हों जिससे सभी को लाभ मिले।
मैं जब भी प्रदेशवासियों से मिलता हूँ तो मेरे मन में एक ही विचार होता है कि उनसे बात करके, उनकी समस्याएँ सुन कर, उनके समाधान की कोशिश करूँ। यही तड़प प्रदेश के हर एक लोक सेवक में होना चाहिए।