भोपाल। मप्र में सीएम कैंडिडेट के प्रमुख दावेदार ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए यह खबर किसी सदमे से कम नहीं कि दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ को सीएम कैंडिडेट घोषित करने की मांग कर दी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को पहले से पता था कि उनके अभियान को यदि कोई ढेर कर सकता है तो वो केवल दिग्विजय सिंह ही हैं, इसलिए उन्होंने दिग्विजय सिंह को मनाने की हर संभव कोशिश की परंतु उनकी सारी कोशिशें बेकार हो गईं।
पैर छुए, झंडा उठाया
राजनीति के समीक्षों का मानना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को पता था कि सीएम कैंडिडेट की घोषणा में यदि कोई सबसे बड़ा अड़ंगा हो सकता है तो वो दिग्विजय सिंह ही हैं। इसलिए सिंधिया ने सिंह को मनाने के लिए काफी पहले से प्रयास शुरू कर दिए थे। यहां तक कि सार्वजनिक स्थलों पर उनके पैर हुए। उन्हे अपना बुजुर्ग बताया और नर्मदा यात्रा में दिग्विजय सिंह का झंडा भी उठाया। सिंधिया को उम्मीद थी कि उनके इन प्रयासों से दिग्विजय सिंह कुछ नर्म पड़ जाएंगे और कोई ऐसी चाल नहीं चलेंगे जो उन्हे नुक्सान पहुंचाती हो। यहां याद दिला दें कि सिंधिया और सिंह दोनों राजघरानों से आते हैं और दोनों को आज भी 'महाराज' व 'राजा साहब' संबोधन मिलता है। इस नजर से देखें तो सिंधिया राजघराना, दिग्विजय सिंह के राज परिवार से बड़ा है। यही कारण है कि दिग्विजय सिंह ने यशोधरा राजे सिंधिया के लिए विधानसभा में कार का दरवाजा खोला था।
पुरानी रार है सिंधिया और सिंह के बीच
दरअसल, कांग्रेस में सिंधिया और सिंह के बीच रार बहुत पुरानी है। पहले यह नाम अर्जुन सिंह हुआ करता था अब दिग्विजय सिंह है। इतिहास गवाह है अर्जुन सिंह ने राजीव गांधी की इच्छा होने के बावजूद माधवराव सिंधिया को कभी मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया। जब दिग्विजय सिंह पॉवर में आए तो उन्होंने भी माधवराव सिंधिया को हर संभव नुक्सान पहुंचाया। ज्योतिरादित्य सिंधिया को जब से राजनीति की समझ आई, उन्होंने दिग्विजय सिंह से चली आ रही पेतृक गुटबाजी को कम करने की कोशिश की। सिंधिया ने ऐसा कोई अवसर नहीं चूका जिसके माध्यम से वो दिग्विजय सिंह के दिल में अपने लिए प्यार जगा सकें लेकिन फिर भी काम नहीं बना। ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्लानिंग पर दिग्विजय सिंह की रणनीतियां भारी पड़ती नजर आ रहीं हैं।