
जहां तक हो सके, सूर्योदय से पहले उठें और उठते समय दोनों पैरों को जमीन पर एक साथ रखें। उसी समय अपने ईष्ट देव का स्मरण करें। इस समय गायत्री मंत्र का उच्चारण करें। इससे घर के वास्तु दोष भी नष्ट हो जाते हैं।
पूजा-पाठ के श्रीमद भगवद गीता के एक अध्याय और रामचरितमानस के कम से कम सात चौपाइयों का अर्थ सहित अवश्य पाठ करें। इससे मानसिक शांति मिलती है। घर में सुख-शांति का वास होता है। वहीं दैनिक पूजा में तुलसी का पूजन करना भी काफी फलदायी माना जाता है, इसलिए घर में तुलसी और आक का पौधा अवश्य लगाएं।
यूं तो प्रभु को स्मरण करने का कोई समय निर्धारित नहीं है। जब चाहे उनको याद करें। मगर सुबह की पूजा स्वयं के लिए भी अच्छी होती है इसलिए स्नान और पूजन सुबह सात से आठ बजे के बीच कर लें। यदि आप सूर्योदय से कुछ समय पहले उठने का नियम पालन कर सकते हैं तो यह सर्वथा उत्तम होगा। भगवान सूर्य की विशेष अनुकंपा प्राप्त होगी और समाज में आपकी कीर्ति उसी प्रकार स्थाई रूप से फेलेगी जैसे भगवान सूर्य का स्थायित्व होता है।