भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी दंगल शुरू हो चुका है। पहलवान रिंग के अंदर आ गए हैं। कांग्रेस में अभी कई महत्वपूर्ण फैसले बाकी हैं परंतु दिग्गजों ने अपने काम हाथ में ले लिए हैं। दिग्विजय सिंह और अजय सिंह की अपनी सीटों पर पकड़ मजबूत है। ज्योतिरादित्य सिंधिया अब तक स्टार प्रचारक की भूमिका में हैं, जिनके पास मप्र की कोई खास जिम्मेदारी नहीं है लेकिन कमलनाथ ने बड़ी जिम्मेदारी हाथ मे ले ली है। बताया जा रहा है कि कमलनाथ ने आदिवासियों के डेढ़ करोड़ वोट कांग्रेस की झोली में डालने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।
चर्चाएं हैं कि कांग्रेस इस बार बसपा और सपा को साथ लेकर चुनाव लड़ेगी। कमलनाथ इस लाइन को आगे बढ़ाते नजर आ रहे हैं। खबर आ रही है कि नर्मदाअंचल के आदिवासी क्षेत्र में पकड़ रखने वाली गौंडवाना गणतंत्र पार्टी से कमलनाथ की बातचीत लगभग फाइनल हो गई है। भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए वो कांग्रेस का साथ देने तैयार हैं। इसके अलावा आदिवासियों के बीच सक्रिय दूसरे सभी संगठनों से कमलनाथ की बातचीत की संभावना है। माना जा रहा है कि कमलनाथ शिवराज विरोधी सारी शक्तियों को एकजुट कर रहे हैं।
मप्र में आदिवासियों का महत्व
मप्र की कुल जनसंख्या की लगभग 20 प्रतिशत आबादी आदिवासी है। जनगणना 2011 के मुताबिक, मध्यप्रदेश में 43 आदिवासी समूह हैं। इनमें भील-भिलाला आदिवासी समूह की जनसंख्या सबसे ज्यादा 59.939 लाख है। इसके बाद गोंड समुदाय का नंबर आता है, जिनकी आबादी 50.931 लाख हैं। इसके बाद कोल (11.666 लाख), कोरकू (6.308 लाख) और सहरिया (6.149 लाख) का नंबर आता है।