
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे माधवराव सिंधिया और उनकी मां राजमाता विजयाराजे सिंधिया के बीच हिरण्य वन कोठी को लेकर विवाद था। जिसे राजमाता ने अपने विश्वस्त सरदार संभाजी राव आंग्रे को दे दी थी। वहीं इस कोठी को लेकर संभाजी राव आंग्रे की बेटी चित्रलेखा आंग्रे ने कोर्ट में एक याचिका लगाते हुये माधवराव सिंधिया सहित 35 लोगों पर डकैती और आपराधिक षडयंत्र का मामला दर्ज कराया था। चित्रलेखा ने बताया था कि सिंधिया ने अपने साथियों सहित आधी रात को इस कोठी पर कब्जा करने की कोशिश की थी।
मामला बेहद पुराना होने के चलते कोर्ट ने लगातार इस मामले की सुनवाई के आदेश दिए हैं। सोमवार को हुई मामले की सुनवाई में दस गवाह पेश हुए जबकि चार गवाह की तामील पर पुलिस ने नोट लिखा कि वे अब दुनिया में नहीं है, जिनमें राजमाता विजयाराजे सिंधिया, पूर्व केन्द्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया, भाजपा के वरिष्ठ नेता माधव शंकर इंदापुर, पूर्व सांसद नारायण कृष्ण शेजवलकर अब इस दुनिया में नही है। इस मामले की सुनवाई में भाजपा और कांग्रेस के कई नेता गवाह तथा आरोपियों के रूप में कोर्ट में पेश होना है।