भोपाल। कम्प्यूटर बाबा समेत 5 बाबाओं को मंत्री का दर्जा दिए जाने के बाद भी सीएम शिवराज सिंह की बात बनती नजर नहीं आ रही है। रविवार को साधु-संतों ने राजधानी में शिवराज सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। नर्मदा यात्रा को घोटाला बताते हुए इसकी सीबीआई जांच की मांग कर डाली। बोले पवित्र नर्मदा नदी को रेत खनन कर छलनी कर दिया गया है। यदि इस घोटाले की जांच नहीं की गई, तो संत घर-घर जाकर सरकार की करतूत उजाकर करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से सिर्फ संत समाज ही नहीं बल्कि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य समाज के लोग भी नाखुश हैं। इस तरह के आरोप रविवार दोपहर को शाहजहांनी पार्क में इकट्टे हुए साधु-संतों ने लगाए।
श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरी और ओकारेश्वर धाम के नागा महेशदासजी के नेतृत्व में साधु-संत मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने राजधानी आए थे। लेकिन रविवार सुबह उन्हें मिसरोद स्थित इंडस टाउन पर रोक लिया गया था। बाद में पुलिस की निगरानी में संत दोपहर एक बजे शाहजहांनी पार्क पहुंचे।
इस दौरान मीडिया से चर्चा में महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री जीवन दायिनी नर्मदा जी के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। नर्मदा नदी का अस्तित्व खत्म किया जा रहा है। नर्मदा यात्रा के दौरान 6 करोड़ पौधे लगाने की बात भी झूठ है। कम्प्यूटर बाबा सिंहत पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपनी करतूत छिपाने के लिए किया है।
नागा महेशदासजी ने कहा कि पहले कम्प्यूटर बाबा ने नर्मदा यात्रा के नाम पर हुआ घोटाला उजागर करने की धमकी दी थी। राज्यमंत्री का दर्जा मिलते ही उनके सुर बदल गए हैं। कम्प्यूटर बाबा संत नहीं है, यदि वह संत हैं, तो उन्हें तत्काल राजनीति से तौबा कर लेना चाहिए। इस मौके पर ओंकारेश्वर के महामंडलेश्वर बाल बिहारी दासजी, बगलामुखी नलखेड़ा से मठाधीश किन्नार अखाड़ा साध्वी पीतांबरा प्रमुख रूप से उपस्थित थीं।
एडीएम को ज्ञापन सौंपा
साधु-संत करीब एक घंटे तक पार्क में धरने पर बैठे रहे। इसके बाद वह रैली की शक्ल पर आगे बढ़े,लेकिन पुलिस ने पार्क का गेट बंद कर उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। इस बीच एडीएम जीपी माली,एएसपी राजेशसिंह भदौरिया,सीएसपी भूपेंद्रसिंह ने संतों से चर्चा की। समझाइश के बाद महामंडलेश्वरजी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामित ज्ञापन,राज्यपाल को सौंपने के लिए एडीएम जीपी माली को सौंपा। इसके बाद साधु-संत अपने-अपने स्थानों के लिए रवाना हो गए।