भोपाल। मप्र शासन ने मानवाधिकार के लंबित मामलों में तेजी से कार्रवाई शुरू कर दी है। यह शिवराज सिंह सरकार की चुनावी तैयारी नहीं बल्कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के डंडे का डर है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मप्र शासन को एक सूचना भेजी है कि जल्द ही उसकी एक बेंच मप्र में आने वाली है। आयोग ने शासन को 2 सपताह का समय दिया है। इस दौरान सारी रिपोर्ट तैयार करनी है। यही कारण है कि पेंडिंग मामलों में कार्रवाई शुरू कर दी गई है ताकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सामने इज्जत बची रहे।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य को सूचना भेजी है कि आयोग की एक बैंच कभी भी मध्यप्रदेश आ सकती है, इसके पहले सभी रिकार्ड दुरुस्त रखें। पत्र मिलने के बाद से सामान्य प्रशासन विभाग सक्रिय है। अपर मुख्य सचिव ने प्रमुख तौर पर जेल, गृह, स्कूल शिक्षा, स्वास्थ्य, अनुसूचित जाति और जनजाति विभागों के अफसरों को तलब करते हुए समीक्षा की है। बात सामने आई है कि राज्य और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा की गई अनुसंशाओं को पूरा करने में कोताही बरती जा रही है।
जेल विभाग के मामले सबसे ज्यादा
गृह विभाग के पास 12 ऐसे मामले हैं जो सालों बाद भी लंबित है। सबसे ज्यादा प्रकरण जेल विभाग के पास हैं। समीक्षा के दौरान पुलिस की खिंचाई की गई। बताया गया कि पुलिस जूते के लेस से फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या करना या कंबल की गांठ से फांसी लगाने को बताकर प्रकरण को हास्यास्पद बना रहे हैं। मानव अधिकार आयोग ने इसे गंभीरता से लिया है। रीवा का एक मामला चर्चा का विषय रहा।
कार्रवाई करें और अवगत कराएं
एसीएस प्रभांशु कमल ने विभागों के अफसरों से लंबित अनुसंशाओं को दो सप्ताह में पूरा करके रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की बैंच के सामने विभाग की भद नहीं पिटे, इसके पहले सभी पेंडिंग मामले निबटा लिए जाएं।