
जब बाबा से नेत्रहीन होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, "मेरी आंखें 89 फीसदी खराब थीं। 2014 तक दृष्टिहीन होकर रियायती टिकट पर यात्रा करता था, लेकिन नंगे पांव नर्मदा परिक्रमा की तो आंखों की रोशनी लौट आई। बाबा नर्मदानंद का कहना है कि वे अब रेलवे की सुविधा नहीं लेते हैं। 2014 तक दृष्टिहीन होकर उन्होंने रियायती टिकट पर यात्रा की थी।
बता दें कि फिलहाल बाबा नर्मदानंद नर्मदा की 3300 किमी की परिक्रमा कर रहे हैं। 26 मार्च को ओंकारेश्वर से उन्होंने यात्रा शुरू की थी। 2 अप्रैल को उन्हे मंत्री बना दिया गया। अब वो 11 अप्रैल को ओंकारेश्वर में ही इस यात्रा को खत्म कर देंगे। शायद यात्रा का उद्देश्य पूरा हो गया।