भोपाल। विधायक माखनलाल जाटव की हत्या के मामले में आरोपित मंत्री लाल सिंह आर्य एक बार फिर उलझ गए हैं। हाईकोर्ट चीफ जस्टिस ने ग्वालियर हाईकोर्ट में चल रही याचिका को इंदौर बेंच में ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया है। अब इंदौर के साथ ग्वालियर हाईकोर्ट में भी याचिकाओं पर समानांतर सुनवाई चल सकती है या फिर दोनों याचिकाएं जबलपुर स्थानांतरित भी की जा सकती हैं। बता दें कि मंत्री लगातार यह प्रयास कर रहे हैं कि मामले की सुनवाई इंदौर में हो।
सुप्रीम कोर्ट के 5 मार्च को दिए गए निर्देशानुसार हाईकोर्ट को एक माह के भीतर फैसला लेना है। ऐसे में अदालत से आया विपरीत फैसला उनके लिए चुनाव से पहले मुसीबत का सबब बन सकता है। हत्याकांड में आरोपी आर्य ने भिंड एडीजे कोर्ट के गिरफ्तारी वारंट के खिलाफ ग्वालियर हाईकोर्ट में एक रिवीजन पिटीशन दायर की थी। जिस पर फैसला आना बाकी है। इसी बीच दिसंबर 2017 में इंदौर हाई कोर्ट ने सीबीआई की एक 6 साल पुरानी याचिका पर सुनवाई करते हुए भिंड एडीजे कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। इंदौर हाईकोर्ट से मिले इस स्टे के चलते मंत्री को गिरफ्तारी से तात्कालिक रुप से राहत मिल गई थी।
इसी बीच आरोपी पक्ष की ओर से मुख्य न्यायाधीश के समक्ष आवेदन दिया गया कि ग्वालियर में चल रहे मामले को भी इंदौर बेंच में हस्तांतरित किया जाए। चीफ जस्टिस ने तकनीकी कारणों के चलते मामले को इंदौर हाई कोर्ट बेंच ट्रांसफर करना अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया है। गौरतलब है कि भारत के राष्ट्रपति द्वारा 1968 में जारी एक नोटिफिकेशन के मुताबिक चीफ जस्टिस चाहे तो मामले को मुख्य खंडपीठ यानी जबलपुर तो बुला सकते हैं लेकिन एक खंडपीठ से दूसरी खंडपीठ में स्थानांतरित नहीं कर सकते।