भोपाल। नर्मदा परिक्रमा पूर्ण करने के बाद आखिरी धार्मिक अनुष्ठान करने ओंकारेश्वर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने स्पष्ट किया कि अब उनका एक नया रूप दिखाई देगा। वो अब हर मुद्दे पर कांग्रेस की तरफ से बल्लेबाजी नहीं करेंगे। इसके लिए प्रवक्ताओं की टीम है। वो चुने हुए विषयों पर बोलेंगे। उन्होंने बताया कि उनके बयानों को बेवजह विवादित बनाया गया और फायदा उठाया गया लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। कांग्रेस में सीएम कैंडिडेट के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह केवल मीडिया का शगूफा है। हम सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे और जीतकर दिखाएंगे।
आखें लाल, हृदय में जोश लेकिन शब्दों में शालीनता
वे नरसिंहपुर के बरमान घाट पर यात्रा पूरी कर हरदा होते हुए ओंकारेश्वर सुबह साढ़े छह बजे पहुंचे। क्योंकि जगह जगह कांग्रेस कार्यकर्ताओं के स्वागत ने उन्हें रात में सोने का मौका नहीं दिया है। उनकी आंखे पूरी तरह से लाल हो चुकी हैं, लेकिन इस अनथक यात्रा ने उन्हें कुछ ज्यादा ही जोशीला और आत्मविश्वास से भरपूर बना दिया है। उनसे मिलने उनके परिजनों मित्र आए हुए हैं। तो कांग्रेस नेताओं की भी खासी भीड़ लगी हुई है। वे अपने हर कार्यकर्ता से खुलकर मिल रहे हैं, बहुत बुलंद आवाज में हर एक का नाम लेकर कह रहे हैं कि अब सेल्फी बहुत हो चुकी। मीडिया के बार बार दोहराने वाले सवालों का बहुत ही धैर्य और उत्साह से सामना कर रहे हैं।
नर्मदा किनारे बने एनएचडीसी के गेस्ट हाउस में ईटीवी से बातचीत के जवाब में सिंह ने कहा कि नर्मदा परिक्रमा के बाद उनका एक अलग रूप सामने होगा। मैं अब कम बोलूंगा। याने पहले ज्यादा बोल रहे थे। इस पर वे हंसते हुए कहते हैं कि नहीं छह महीने पहले जो उन्होंने कहा है वह पूरी तरह से तथ्यात्मक है, लेकिन वे सोचते हैं कि यह सब कहना टाला जा सकता था। हर बात का जवाब उन्हें देने की जरूरत नहीं थी। एक प्रवक्ताओं की टीम है जो अपना काम कर रही है. वे दावा करते हैं कि उन्हें बोलने का कोई मलाल नहीं है लेकिन वे बेवजह संघ भाजपा के निशाने पर आते गए। उनकी बातों को राजनीतिक फायदे के लिए तोड़ा मरोड़ा गया।
राहुल को अपनी मां से सीखना होगा
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी में वे क्या खूबियां देखते हैं, इसके जवाब में वे कहते हैं कि सिद्धांतों और मूल्यों के स्तर पर राहुल गांधी का कोई मुकाबला नहीं है। वे राजनीतिक कसौटी पर खरे उतरते हैं लेकिन अब बहुत कुछ उन्हें अपनी मां से सीखना होगा। विपरीत हालातों में अपनी ताकत जुटानी होगी। सबसे पहले तो उन्हें अपनी टीम बनानी होगी। जिसके दम पर मुकाबला किया जा सके।
राहुल गांधी की नई टीम में उनकी भूमिका के सवाल पर वे कहते हैं कि जो काम उन्हें सौंपा जाएगा वे करेंगे। पिछले 14 साल से वे केंद्र में संगठन की राजनीति कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की दावेदारी से साफ इंकार करते हुए वे इस रेस से बाहर हैं। वे दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और अब इस पद के लिए मैदान में नहीं हैं। हां कांग्रेस की मजबूती के लिए वे अपनी नई राजनीतिक यात्राएं वे शुरू करने जा रहे हैं।
सीएम कैंडिडेट केवल मीडिया का शगूफा है
मध्यप्रदेश में सीएम चेहरा प्रोजेक्ट करने वे चुनाव मैनेजमेंट के मुद्दे पर वे थोड़े आवेश में कहते हैं- यह सिर्फ मीडिया का शगूफा है। नजदीक ही मौजूद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव को देखते हुए वे कहते हैं कि ये हैं, पूरा संगठन हैं जो बेहतर काम कर रहा है। हम सब मिलकर चुनाव लडेंगे जीतेंगे। हमारे बीच कोई गुटबाजी नहीं है। वे एक फेविकोल की तरह सभी गुटों को एकसाथ जोड़कर चुनावी टीम बनाने का प्रयास करेंगे।