BHOPAL NEWS | दिन-ब-दिन बढ़ रहे तापमान के बाद भी सरकारी और सेंट्रल स्कूलों में अभी भी कक्षाएं लग रही हैं। जबकि CBSE से संबंधित स्कूलों ने शुक्रवार से ही छुट्टी घोषित कर दी है। अब यह 18 जून से खुलेंगे। हालांकि कलेक्टर सुदाम पी खाडे ने कहा है कि 01 मई से सभी स्कूलों में छट्टी कर दी जाएगी। कोई भी स्कूल एक मई के बाद नहीं लगाया जाएगा। सेंट्रल स्कूलों में 12 मई से छुट्टी किए जाने का टाइम-टेबल अभिभावकों को पहुंचाया गया है।
जानिए चीन में कैसे होते हैं स्कूल
हर देश में बच्चों को शिक्षा देने के लिए अलग पैटर्न या सिस्टम होता है, जिसके माध्यम से बच्चों को शिक्षा दी जाती है. यह शिक्षा व्यवस्था भारत, चीन, पाकिस्तान, अमेरिका सब देशों में अलग होती है. आज हम आपको चीन के एजुकेशन सिस्टम के बारे में बता रहे हैं, जिससे आप जान पाएंगे कि भारत और चीन की पढ़ाई में कितना अंतर है...
चीन में बच्चों की पढ़ाई की शुरुआत 6 साल की उम्र से होती है और बच्चे ग्रेड 1 में 6 साल की उम्र में स्कूल जाना शुरू करते हैं. यह प्राइमेरी एजुकेशन का हिस्सा होता है, जो कि 1 से 6 ग्रेड तक होती है. प्राइमेरी एजुकेशन लेने के बाद बच्चों को जूनियर सेकेंडरी में भाग लेना होता है, जिसमें ग्रेड 7 से ग्रेड 9 तक पढ़ाई करवाई जाती है और 15 साल तक बच्चे इसे पूरा करते हैं. इसे चीन में chuzhong के नाम से जाना जाता है.
उसके बाद सेकेंडरी एजुकेशन होती है, जिसमें 10 तक की पढ़ाई करवाई जाती है, जिसे gaozhong कहा जाता है और उसके बाद पोस्ट सेकेंडरी की पढ़ाई करवाई जाती है. यहां स्कूली पढ़ाई 14वीं ग्रेड तक होती है और उसके बाद बैचलर या मास्टर डिग्री करवाई जाती है. चीन में बैचलर डिग्री को xueshi xuewei और मास्टर डिग्री को shuoshi xuewei कहा जाता है.
चीन के कई स्कूलों में सेंट्रल हीटिंग नहीं है, जिसकी वजह से बच्चों और शिक्षकों को सर्दियों में अपने ओवरकोट उतारने पड़ जाते हैं. यहां की स्कूलों की ड्रेस भी अलग होती है, जिसमें चौड़ी पैंट और जैकेट आदि शामिल होते हैं. चीन की स्कूलों में बच्चों को दिन में एक बार नहीं बल्कि दो बार वार्म-अप करना होता है. जहां भारत में एक बार वार्म-अप करवाया जाता है, वहां ये दो बार होता है. सुबह के बाद बच्चों को दोपहर में भी वॉर्म अप करवाया जाता है.
यहां स्कूलों में बच्चों को खाना खाने के लिए एक घंटे का टाइम दिया जाता है और कुछ स्कूलों में बच्चों को बीच में सोने की इजाजत भी दी जाती है. यहां बच्चे थोड़ी देर स्कूल टाइम में भी नींद ले सकते हैं. यहां बच्चों की स्कूलें भी ज्यादा देर तक चलती हैं. सुबह 8 बजे से शुरू होने वाले स्कूलों में बच्चे 4 बजे तक पढ़ाई करते हैं. वहीं कई बड़े स्कूलों में तो इसके अलावा अन्य एक्टिविटी भी करवाई जाती है.
चीन में स्कूल पब्लिक और प्राइवेट आधार पर होते हैं. यहां प्राइवेट स्कूल में पढ़ने के लिए मोटी फीस का भुगतान करना होता है. बताया जाता है कि यहां प्राइवेट स्कूल की फीस एक हजार डॉलर यानि 60 हजार रुपये प्रति महीना लगती है. हालांकि इन स्कूलों की पढ़ाई का स्तर बहुत अलग होता है.