
सतत विकास की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य ऐसे दो क्षेत्र हैं जहां देश पिछड़ रहा है। हमारे स्कूलों की पढ़ाई पिछड़ रही है। कक्षा पांच का छात्र कक्षा दो के घटाव नहीं कर सकता है, वह अपनी मातृभाषा भी ठीक से नहीं पढ़ पाता है। शिशु मृत्युदर बढ़ी है। जब तक हम इन सभी पहलुओं पर ध्यान नहीं देंगे, तब तक नियमित तौर पर विकास मुश्किल है।
‘चैलेंजस ऑफ ट्रांसफॉर्मिग इंडिया’ विषय पर बोलते हुए अमिताभ कांत ने कहा कि देश के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्से सामाजिक इस दिशा में काफी बेहतर और तेजी से काम कर रहे हैं। जब हम मानव विकास सूचकांक में बेहतर करने की बात करते हैं तो हमारा ध्यान इन सामाजिक पहलुओं पर होना चाहिए।
इसके लिए हम इस विषय पर जिलों पर आधारित कार्यक्रम चला रहे हैं। इस मौके पर नीति आयोग के सीईओ ने निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी की वकालत की।