जबलपुर। 18 फरवरी को मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2018 के परीक्षा परिणामों पर लगाई गई रोक को हाईकोर्ट ने हटा लिया है। इसके साथ ही प्रारंभिक परीक्षा में शामिल हुए लाखों अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी करने का रास्ता साफ हो गया है। मामले में अब अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी। बता दें कि इस परीक्षा से डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार सहित विभन्न प्रशासनिक पदों के लिए इसके माध्यम से भर्ती होनी है। मामले में अभ्यर्थियों ने एमपीपीएससी से शिकायत की थी, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिलने पर अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। साथ ही इसके पहले भोपाल से लेकर इंदौर तक जमकर विरोध प्रदर्शन हुए थे।
लाखों विद्यार्थियों के भविष्य का सवाल
एमपीपीएससी 2018 परीक्षा में कथित गड़बड़ी को लेकर कुछ परीक्षार्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। अभ्यर्थियों ने इस संबंध में कोर्ट में अर्जी लगाई थी। इनका आरोप था कि परीक्षा की मॉडल आंसर शीट में गड़बड़ी की गई है। तीन छात्रों द्वारा दायर इस याचिका पर 28 मार्च को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने परीक्षा परिणामों पर तत्काल रोक लगाने का आदेश जारी किया था।
सरकार ने रखा अपना पक्ष
शुक्रवार को जब याचिका पर फिर से सुनवाई हुई तो अभ्यर्थियों और सरकार की तरफ से अपनी-अपनी दलीलें पेश की गईं। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए परीक्षा परिणामों पर लगी रोक हटा दी। हाईकोर्ट की बेंच ने साफ शब्दों में कहा कि इस परीक्षा में प्रदेश के लाखों विद्यार्थी सम्मिलित हुए हैं। सभी का भविष्य इस अहम परीक्षा से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने कहा कि कुछ छात्रों के लिए इस परीक्षा में शामिल होने वाले 2 लाख 84 हजार छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है।
याचिका के अधीन रखे जाएंगे परीक्षा परिणाम
कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले अभ्यर्थियों को भी आश्वस्त किया है। कोर्ट ने कहा कि एमपीपीएससी-2018 परीक्षा परिणामों पर लगी रोक हटाई जरूर जा रही है, परंतु परीक्षा परिणाम इस याचिका के अधीन ही रखे जाएंगे। साथ ही हाईकोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 19 अप्रैल की तिथि निर्धारित की है।
ये हैं अभ्यर्थियों के तर्क
रि-एग्जाम कराने की मांग का महत्वपूर्ण तर्क रखते हुए छात्रों ने कहा था कि पांच प्रश्न विलोपित करने के पहले जिन छात्रों के अंक 70 तक हो रहे थे वह अब 65 से कम अंकों पर आ गए हैं। एमपीएससी परीक्षा में करीब 2.84 लाख अभ्यर्थी शामिल होते हैं, एक-एक अंक पर हजारों अंदर-बाहर हो सकते हैं, ऐसी स्थिति में पांच-पांच प्रश्नों को हटा देने से अभ्यर्थियों के भविष्य चौपट हो जाएगा।
10 सवालों पर आपत्ति
संशोधित आंसरसीट आने के बाद भी पांच प्रश्नों पर आपत्ति हैं, इस तरह कुल 10 प्रश्न हैं, जो विवादास्पद श्रेणी में हैं। छात्रों का कहना है कि इन सभी मांगों के संदर्भ में छात्रों ने हजारों की संख्या में मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल के नाम से ज्ञापन देकर सरकार रि-एग्जाम की मांग रखी है थी।
आवेदन की लास्ट डेट के बाद पद बढ़ा दिए
MPPSC ने जब पहली बार विज्ञापन जारी किया था तो कुल पदों की संख्या 202 थी। कुछ दिन बाद आयोग ने नगरीय विकास एवं आवास विभाग और वाणिज्यिक कर विभाग में 32 नए पद जोड़ दिए। इससे पदों की संख्या बढ़कर 234 हो गई है। आयोग के परीक्षा बीच पद बढ़ाने का परीक्षार्थियों ने कड़ा विरोध किया था। उनका कहना है कि आयोग द्वारा पहले विज्ञापन में कम पद जारी करने के कारण कई आवेदकों ने आवेदन ही नहीं किया। इस साल परीक्षा के लिए करीब 2.84 लाख आवेदन आए थे।