उपवास के दिन गोलगप्पा खाने के आरोप में जैन मुनि को वापस भेजा | NATIONAL NEWS

Bhopal Samachar
गिरिडीह। पूरी दुनिया में अपने तप और कठिन साधना के लिए दिगंबर जैन समाज के मुनियों का नाम श्रद्धा से लिया जाता है। ऐसे में जब कोई दिगंबर जैन मुनि अपने पथ से भटक जाए तो समूचे समाज की आस्था आहत होती है। दिगंबर मुनि प्रतीक सागर महाराज ने समाज के लोगों की श्रद्धा को अपने आचरण से आहत कर दिया। जैन धर्म के नियमों को दरकिनार कर संयम तोड़ा और उपवास के दौरान गोलगप्पा और पराठे का स्वाद ले लिया। शनिवार को कोलकाता में हुई इस घटना से दुखी समाज के प्रबुद्ध लोगों ने इस दिगंबर मुनि को वस्त्र पहनाकर विदा कर दिया। मुनि प्रतीक सागर के अनुयायियों का दावा है कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। वो एक साजिश का शिकार हुए हैं। 

झारखंड स्थित तीर्थनगरी मधुबन पारसनाथ जैनियों के लिए पवित्र धरती है। यहां हमेशा जैन समाज के संतों का आवागमन होता है। इसी क्रम में कुछ समय पूर्व दिगंबर जैन मुनि प्रतीक सागर महाराज मधुबन स्थित तेरह पंथी कोठी में चातुर्मास साधना करने आए थे। तब कई बार रात में भोजन करने व महिलाओं से बात करने के कारण विवाद में घिरे। तीर्थयात्रियों से भी विवाद कर बैठे। प्रबुद्ध लोगों ने समझाया पर जैन मुनि ने सभी की बातों को अनसुना कर दिया। चातुर्मास के बाद तेरहपंथी कोठी के महामंत्री कमल किशोर पहाड़िया ने उन्हें कोलकाता बुलाया।

मुनि महाराज मधुबन से कोलकाता पहुंचे। कोलकाता में उन्हें जैन धर्मावलंबियों ने उपवास के समय आलू पराठा और गोलगप्पा खाते पकड़ लिया। साथ ही महिलाओं से रात्रि में भोजन मंगाकर खाने की भी बात सामने आई। तब मुनि संघ व्यवस्था समिति व जैन समाज के लोगों ने दिगंबर मुनि को कपड़े पहनाकर वहां से रवाना कर दिया। मालूम हो कि दिगंबर मुनि को धर्म के नियमों के तहत 24 घंटे में एक बार भोजन व पानी लेना होता है। आजीवन पैदल विहार करना होता है। खाने में बहुत से पदार्थ का निषेध है। बिना बर्तन के भोजन करना उनकी आदत में शुमार होना चाहिए।

कोलकाता के जैन मंदिर में दिगंबर मुनि प्रतीक सागर महाराज तीन माह से रह रहे थे। उनके गलत क्रियाकलापों को देख मुनि संघ व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों ने उन्हें कपड़े पहनाने का निर्णय लिया। नियमों के विपरीत दिनचर्या पाए जाने पर उनको कोलकाता से रवाना कर दिया गया।
दयाचंद जैन, मंत्री, मुनि संघ समिति।
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