नई दिल्ली। 2014 में मोदी सरकार के गठन के बाद से ही भारत में मीडिया पर पाबंदियां लगाने की कोशिश की जा रहीं हैं। मनमोहन सरकार पर सवाल उठाती मीडिया इन्हे काफी पसंद थी परंतु जब वही मीडिया मोदी सरकार पर सवाल उठाती है तो इन्हे बुरा लगता है। बीते रोज 'फेक न्यूज' के नाम पर पत्रकारों को डराने की कोशिश की गई थी। अब ऑनलाइन मीडिया के लिए नियम कानून और मानक बनाने की तैयारियांशुरू हो गईं हैं। इसके दायरे में ऑनलाइन न्यूज़, डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग के साथ ही इंटरटेनमेंट और इंफोटेनमेंट कंटेंट मुहैया कराने वाली वेबसाइट्स आएंगी।
4 अप्रैल 2018 को सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से एक आदेश जारी हुआ। मंत्रालय ने इस आदेश को मीडिया से छुपाया परंतु यह लीक हो ही गया। आदेश में कहा गया है कि देश में चलने वाले टीवी चैनल और अखबारों के लिए नियम कानून बने हुए हैं और वह अगर इन कानूनों का उल्लंघन करते हैं तो उससे निपटने के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया जैसी संस्थाएं भी हैं, लेकिन ऑनलाइन मीडिया के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। इसे ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन मीडिया के लिए नियामक ढांचा कैसे बनाया जाए इसके लिए एक समिति का गठन किया जा रहा है।
दस लोगों की इस कमेटी के संयोजक सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव बनाए गए हैं। इस कमेटी में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और एनबीए के सदस्य भी शामिल होंगे। गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय के सचिव भी इस कमेटी का हिस्सा होंगे। इस समिति को यह बताना है कि ऑनलाइन मीडिया को कानून की जद में लाने के लिए क्या दायरा तय किया जाए। इस समिति से कहा जाएगा कि वह ऑनलाइन मीडिया में एफडीआई के नियमों को ध्यान में रखते हुए उसके लिए नियम कानून और उसे लागू करने के तरीके भी सुझाए।
विरोध के बाद सरकार ने वापस लिया फैसला
ऑनलाइन मीडिया पर निगरानी रखने के लिए नियम कानून बनाने की खातिर इस समिति का गठन ऐसे समय पर किया गया है जब फेक न्यूज को लेकर मंत्रालय के आदेश पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने फेक न्यूज के मामले में पत्रकारों की मान्यता रद्द करने का प्रस्ताव किया था जिसे लेकर पत्रकारों के तमाम संगठनों समेत विपक्ष के नेताओं ने भी जबरदस्त विरोध किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और मंत्रालय ने आदेश वापस ले लिया।
तो क्या अभी बेलगाम है आॅनलाइन मीडिया
आॅनलाइन मीडिया पर दूसरी मीडिया से ज्यादा कानून लागू होते हैं।
आईपीसी के अलावा वो साइबर एक्ट के अंतर्गत भी आती है।
भारतीय प्रेस परिषद में आॅनलाइन मीडिया के खिलाफ वाद प्रस्तुत किए जा रहे हैं। उनकी सुनवाई हो रही है और फैसले भी हो रहे हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के जो नियम टीवी न्यूज चैनलों पर लागू होते हैं, वह सारे नियम आॅनलाइन मीडिया पर भी लागू होते हैं।