
गौरव भाटिया ने राजनीति दलों से जुड़े कुछ लोगों और कार्यकर्ताओं द्वारा जजों के खिलाफ किए गए ट्वीट का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि कुछ ट्वीट तो ऐसे हैं कि उन्हें अदालत में पढ़ा भी नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका और जजों के खिलाफ गलत बयान देने वाले वकीलों और नेताओं के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होनी चाहिए।
बता दें कि एससी/एसटी एक्ट में एफआईआर के तुरंत बाद गिरफ्तारी की शर्त हटाने के बाद 2 अप्रैल को देश भर में बाजार बंद कराया गया। उपद्रव हुए। भीड़ ने नारे लगाए। सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बयान पोस्ट किए गए। यहां तक कि मध्यप्रदेश के जबलपुर में भीड़ ने हाईकोर्ट के सामने जाकर कोर्ट और वकीलों के खिलाफ भी नारे लगाए थे।