
क्या है मामला
मानसी विहार में रहने वाली एक युवती की शादी वर्ष 2013 में आईसीआईसीआई बैंक की शाखा में बतौर मैनेजर काम करने वाले एक युवक के साथ हुई थी। शादी के बाद विवाहिता को कोई बच्चा नहीं हुआ। ससुराल पक्ष के लोग उन्हें बांझ कहकर ताना देते हैं। ससुराल वाले उन्हें घर में रखने को तैयार नहीं हैं। महिला को सर्वेंट क्वार्टर में रखते हैं। सर्वेंट क्वार्टर की बिजली भी काट दी गई और पानी की सप्लाई भी बंद कर दी गई है। मैनेजर पति अपने माता-पिता के इशारे पर विवाहिता का उत्पीड़न कर रहा है। इतना ही नहीं मैनेजर पति ने पत्नी से तलाक लेने के लिए कोर्ट में मुकदमा भी दायर कर दिया। जब युवती को इस बात का पता चला तो उन्होंने कोर्ट में भरण पोषण का मुकदमा दायर कर दिया। साथ ही रूम में एसी लगवाने और भरण पोषण के लिए प्रत्येक महीने 10 हजार रुपये दिलाने की भी कोर्ट से गुहार लगाई।
कोर्ट ने दिया आदेश
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए युवती और उसके मैनेजर पति को तलब किया। सुनवाई के दौरान मैनेजर पति ने कहा कि उनकी पत्नी न तो उनकी बात मानती हैं और न परिवार के लोगों की ही सुनती हैं। इसलिए मैं इससे तलाक चाहता हूं। कोर्ट ने सुनवाई के बाद महिला के मैनेजर पति की दलीलों को खारिज कर दिया और आदेश दिया कि वह पत्नी के रूम में एसी लगवाएं। साथ ही 10 हजार रुपये प्रत्येक महीने की 10 तारीख को उसे भरण पोषण के लिए दें। इतना ही नहीं जब वह घर आएं तो पत्नी से ढंग से बातचीत भी करें। कोर्ट ने परिवार परामर्श केंद्र की कॉन्स्टेबल शारदा को भी आदेश दिया कि वह प्रत्येक सप्ताह युवती के घर जाकर उसकी कुशलता पूछें और कोर्ट को भी अवगत कराएं।