अनूप पाण्डेय/ नई दिल्ली। दिल्ली के मयूर विहार एक्सटेंशन के डिस्ट्रिक्ट पार्क के आसपास यहां के लोगों को सड़क किनारे एक महिला अपने बेटे के साथ अकसर दिख जाती हैं। कोई उन्हें कौतुहल भरी नजरों से देखता है तो कोई देखकर भी अनदेखा करता हुआ निकल जाता है लेकिन कोई इनके बारे में जानने की कोशिश नहीं करता है। यहां के स्ट्रीट वेंडर्स बताते हैं कि अगर महिला को कोई कुछ खाने के लिए देता है तो वह ले लेती हैं, लेकिन कभी किसी से भीख नहीं मांगती हैं। महिला तो फिर भी कभी-कभी बात करती हैं, मगर उनका बेटा कुछ नहीं बोलता है।
महिला खुद को इलाहाबाद हाई कोर्ट की सीनियर एडवोकेट रेणु सुशील अग्रवाल बताती हैं। वह हर समय में अपने बेटे की केयर करती रहती हैं, मगर बेटे के बारे किसी को कुछ नहीं बताती हैं। वह कभी हिन्दी में बोलती है तो कभी इंग्लिश में बोलने लगती हैं। महिला अपने घर का अड्रेस 123/2 मारुतिपुरम फैजाबाद रोड लखनऊ बताती हैं। वह दिल्ली कैसे पहुंचीं, यह साफ तौर पर नहीं बता पाती हैं। दिन में महिला अपने बेटे के साथ फुटपाथ पर किसी पेड़ के नीचे सूरज के ढलने का इंतजार करती है। वहीं, शाम ढलते ही वह अपने बेटे को साथ लेकर डिस्ट्रिक्ट पार्क में चली जाती हैं। यहां के स्ट्रीट वेंडर्स का कहना है कि मां और बेटा दोनों मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं मगर दोनों कभी भीख नहीं मांगते हैं।
दिल्ली के समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से मां-बेटे की हर संभव मदद की जाएगी। गौतम ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे मयूर विहार एक्सटेंशन के डिस्ट्रिक्ट पार्क जाकर मां-बेटे से मिलें और उन दोनों की मेडिकल जांच भी करवाएं। जांच के बाद जरूरत पड़ने पर दोनों को समाज कल्याण विभाग के हाफ-वे होम में भर्ती करवाया जाए, जहां पर उनका ट्रीटमेंट शुरू हो सके।