NEW DELHI NEWS | कांग्रेस ने आज राष्ट्रीय राजधानी के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में जनाक्रोश रैली का आयोजन किया। इस रैली में कांग्रेस के तमाम दिग्गज मौजूद रहे। अपने संबोधन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं में जम कर उत्साह भरा। राहुल के संबोधन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश देखने लायक था। पूरा रामलीला मैदान तालियों और राहुल गांधी जिंदाबाद के नारों से गूंज उठा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ललकारते हुए 2019 के आम चुनाव का आगाज़ ही नहीं किया, बल्कि पीएम मोदी और भाजपा को आने वाले सभी चुनावों के लिए चुनौती दे डाली। उन्होंने मध्यप्रदेश सहित कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत का दावा किया है।
परिपक्कव, संतुलित और स्थिर
जनाक्रोश रैली में राहुल ऊर्जा से भरे एक नए अंदाज में नजर आए। राहुल के अगर कुछ साल पहले से जनाक्रोश रैली तक के भाषण का विश्लेषण करें तो आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कहीं ज्यादा परिपक्कव, संतुलित और एक स्थिर राजनीतिज्ञ के रूप में दिखे।
आक्रामक तेवर से जीत का रास्ता
आज के संबोधन में राहुल के हर शब्द सधे हुए थे और ऐसा लगा कि अर्जुन की तरह उनका लक्ष्य सिर्फ जीत है। हालांकि, तालियों की ये गड़गड़ाहट और राहुल के आक्रामक तेवर जीत (वोटों की संख्या) में तब्दील होगा, ये कहना अभी कुछ जल्दबाज़ी होगी।
राहुल की हुंकार
इन सबके बीच इसमें कोई शक नहीं कि राहुल गांधी का ये ओजस्वी भाषण कांग्रेस के मायूस कार्यकर्तायों में जबरदस्त जोश भरने वाला रहा। अपने भाषण के दौरान राहुल हुंकार भर रहे थे और कार्यकर्ता जोश और ऊर्जा से लबरेज होते दिखे।
कांग्रेस बनाएगी सरकार
राहुल ने न सिर्फ 2019 में कांग्रेस पार्टी की जीत का दावा किया, बल्कि उन्होंने ये ऐलान भी किया कि आने वाले सभी चुनावों में चाहे वो कर्नाटक हो छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश या राजस्थान हो, कांग्रेस इन सभी राज्यों में सरकार बनाएगी।
किसी जादुई छड़ी का असर नहीं
राजनीति के जानकारों की मानें तो राहुल का ये आत्मविश्वास कोई एक दिन का कमाल या किसी जादुई छड़ी का असर नहीं है। ये लंबी मेहनत का नतीज़ा है और इसके पीछे लंबी चौड़ी टीम लगी है। कांग्रेस के महाधिवेशन से जनाक्रोश रैली के भाषण के दौरान राहुल की स्क्रिप्ट काफी धारदार और मंझी हुई नजर आती है।
ये सिखाते हैं दांव-पेंच
सूत्रों की मानें तो इस टीम में इनकी स्क्रिप्ट, प्लानिंग और रोडमैप की जिम्मेदारी के. बी. बैजू की है, जबकि राजनीतिक दांव-पेंच के. राजू सिखाते हैं। अलंकार सवाई और कौशल विद्यार्थी, राहुल का साया बन उनकी हौसला अफजाई करते हैं।
रणदीप के हाथ मीडिया का रण
इस सबके सहयोग से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जब से राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं कांग्रेस नेतृत्व में लगातार बदलाव भी दिख रहे हैं। अगर कांग्रेस के किसी विंग में कुछ खास बदलाव नहीं आया है तो वो पार्टी का मीडिया विभाग है। इसके इंचार्ज हरियाणा कांग्रेस के बेबाक नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला हैं।
राहुल के विश्वासपात्र साथी
सुरजेवाला के साथ संजीव सिंह, प्रणय झा, विनीत पुनिया, मनीष त्यागी जैसे सिपहसालार हैं। राहुल गांधी अपने इन्हीं विश्वासपात्र साथियों के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
जनाक्रोश रैली पर पैनी नज़र
कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव के बाद राहुल की टीम में एक और व्यक्ति भी है जिसने इस जनाक्रोश रैली पर पैनी नज़र रखी। ये हैं राजस्थान कांग्रेस के कद्दावर नेता और नव निर्वाचित कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी अशोक गहलोत। गहलोत के इस आयोजन की पल-पल की खबर रखने के कारण ही रामलीला मैदान में इतना बड़ा जनसैलाब उमड़ा।
गहलोत ने दिन-रात एक की
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के मौजूदा जनरल सेक्रेटी अशोक गहलोत ने जनआक्रोश रैली को सफल बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। रैली की सफलता के लिए गहलोत दिन-रात एक करते दिखे। कार्यकर्ता एक बार फिर पार्टी से पूरे जोश के साथ जुड़ें इसके लिए उन्होंने कार्यकर्ताओं को ही जिम्मेदारी दी। इस कारण रैली में हर प्रदेश से लोग पहुंचे।
एंट्री कार्ड पर वोटर आईडी
यही नहीं, अशोक गहलोत ने इस रैली में कई इनोवेटिव योजनाएं भी लागू की। उदाहरण के तौर पर इस देश में ऐसे कितने वोटर हैं जो कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं और पार्टी के डेडिकेटेड सपोर्टर हैं। ऐसे लोग जो हर परेशानी में पार्टी के साथ खड़े हो सकते हैं। इसकी गणना के लिए एक ऐसा एंट्री कार्ड बनाया गया जिस पर अन्य विवरण के साथ वोटर आईडी भी लिखी गई।
डेढ़ लाख लोगों का जमावड़ा
ये जिम्मेदारी सभी क्षेत्र के कांग्रेस अध्यक्षों को दी गयी। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि रैली के दौरान रामलीला मैदान में करीब डेढ़ लाख लोगों का जमावड़ा था। सूत्रों के मुताबिक इसके बाद इन कार्यकर्ताओं से क्षेत्रीय स्तर पर मुलाकात का सिलसिला शुरू होगा, जिसके बाद हर कार्यकर्ता को नए कार्यकर्ता से जुड़ने के टारगेट भी दिए जाएंगे।
मार्गदर्शक की भूमिका निभाएंगी सोनिया
बता दें कि सोनिया गांधी ने ये पहले ही साफ कर दिया है कि कांग्रेस की जिम्मेदारी अब राहुल पर है और वे सिर्फ मार्गदर्शक की भूमिका निभाएंगी। ऐसे में वर्ष 2019 में सत्ता में वापसी के लिए टीम राहुल गांधी अपने नेता के साथ दमदार अंदाज़ में कदम बढ़ा रही है।
टीम मोदी बनाम टीम राहुल
हालांकि, ये कहना भी गलत नहीं होगा कि राजनीति की ये राह बड़ी कठिन और कांटों भरी है। टीम मोदी भी राजनीति के इस खेल की माहिर है। सबसे खास बात 'चुनावी आगाज़ का बटन भले ही राजनेताओं और चुनाव आयोग के पास हो, लेकिन ईवीएम का बटन प्रजातांत्रिक जनता की उंगलियों के नीचे है।
विज्ञान के नजरिए से राहुल में 3-E
बहरहाल, भारतीय राजनीति की बयार में कांग्रेस वर्ष 2019 के लिए अपनी खुशबू घोलती नज़र आ रही है। विज्ञान के नजरिए से राहुल गांधी ईवोलूशनेरी स्टेप्स के साथ इवौल्व होते हुए कार्यकर्ता को एकजुट कर रहे हैं। इसके अलावा वे जनता के साथ भी इन्वॉल्व होते दिख रहे हैं।