उपदेश अवस्थी/भोपाल। कांग्रेस के युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, जिनमें मप्र अपना भविष्य तलाश रहा है, का आज एक अत्यंत ही असंवेदनशील चेहरा सामने आया। वो ग्वालियर जो ज्योतिरादित्य की जन्मस्थली है। महादजी से लेकर उनके पिता माधवराव सिंधिया तक की कर्मस्थली है, आज एक हिंसक प्रदर्शन के दौरान जल रहा था। यहां 2 मौतें हुईं, सैंकड़ों करोड़ की संपत्तियां नष्ट हो गईं। दर्जनों घायल हो गए। लोगों में हाहाकार मचा हुआ है। हालात तनावपूर्ण हैं बावजूद इसके सिंधिया ग्वालियर नहीं आए। जिस समय ग्वालियर जल रहा था, सिंधिया इंदौर में अपनी जयजयकार करा रहे थे।
ज्योतिरादित्य देश में थे, ज्योतिरादित्य मध्यप्रदेश में थे, ज्योतिरादित्य इंदौर में थे। चाहते तो 2 घंटे में ग्वालियर पहुंच सकते थे परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया। इंदौर हादसे में घायल हुए लोगों से मिलने अस्पताल गए लेकिन ग्वालियर में लोगों को घायल होने से बचाने के लिए कुछ नहीं किया। ना खुद ने शांति की अपील की और ना ही अपने समर्थकों को हिंसा रोकने के लिए सड़कों पर भेजा। इंदौर में सिंधिया ने सिंधियानी पाटनी, एमके भार्गव, विनोद नारंग, सुरेश सेठ, सुभाष बैस और अभय खुरासिया के यहां 'श्रीमंत' वाला स्वागत स्वीकार किया। अपनी जय जयकार कराई। सिंधिया इंदौर के 5 सितारा रेडीसन होटल में रात्रि विश्राम कर रहे हैं।
ग्वालियर में शांति से ज्यादा जरूरी थी क्रिकेट की मीटिंग
दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां एमपी क्रिकेट एसोसिएशन की बैठक में भाग लेने के लिए आए थे। चौंकाने वाली बात है कि जो व्यक्ति खुद को मप्र में सीएम कैंडिडेट का दावेदार बताता है, उसके लिए उसके अपने शहर ग्वालियर में शांति से ज्यादा जरूरी क्रिकेट कमेटी की मीटिंग थी। सिंधिया ने अपना शेड्यूल रद्द नहीं किया। वो तत्काल ग्वालियर पहुंच सकते थे लेकिन नहीं गए। असंवेदनशीलता देखिए कि सोशल मीडिया तक से शांति की अपील नहीं की। उनके लिए ग्वालियर में शांति से ज्यादा जरूरी क्रिकेट की मीटिंग थी। जो व्यक्ति अपनी जन्मभूमि के प्रति संवेदनशील नहीं है, क्या उम्मीद की जाए कि उसके हाथ में प्रदेश का भविष्य सुरक्षित होगा।