
पहले यूपी उपचुनाव में हार और उसके बाद एससी-एसटी ऐक्ट को लेकर दलित प्रदर्शन और अब अपनी ही पार्टी के दलित सांसदों की नाराजगी ने कहीं न कहीं पीएम मोदी के लिए भी मुश्किलें खड़ी की हैं। यही वजह है कि बैठक में पीएम मोदी ने योगी से इस मसले को जल्द सुलझाने के लिए कहा है। बताया जा रहा है कि बैठक में पीएम ने योगी को निर्देश दिए हैं कि जरूरत पड़े तो नाराज सांसदों से अलग से बातचीत करें और उनकी समस्याओं को दूर करें।
योगी ने आरोपों को किया खारिज
उधर, सीएम योगी आदित्यनाथ ने दलितों के उत्पीड़न के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। बीजेपी सांसद दोहरे ने अपने पत्र में लिखा था कि दलितों को उनके घरों से बाहर निकालकर पिटाई की जा रही है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए योगी ने कहा कि पुलिस द्वारा किसी भी बेगुनाह को नहीं फंसाया जा रहा। उन्होंने दलित समाज और उसके जनप्रतिनिधियों को नजरअंदाज करने के आरोपों को भी खारिज किया। सीएम योगी ने कहा, 'कोई भेदभाव नहीं हो रहा है।'
दोहरे ने दलितों के खिलाफ झूठे केस का आरोप लगाया
पिछले दिनों अशोक दोहरे ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर योगी सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई थी। उन्होंने लिखा था कि एससी-एसटी ऐक्ट को लेकर हुए प्रदर्शन के बाद यूपी पुलिस दलित समुदाय के लोगों को झूठे केस में फंसाकर गिरफ्तार कर रही है।
खरवार का आरोप, शिकायत पर डांट कर भगाए योगी
इससे पहले सांसद छोटेलाल खरवार ने भी पीएम को चिट्ठी लिखकर सीएम योगी आदित्यनाथ की शिकायत की। उन्होंने कहा कि जिले के अधिकारी उनका उत्पीड़न कर रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि जब उन्होंने इस मामले में सीएम योगी से मुलाकात करके शिकायत की तो सीएम ने उन्हें डांटकर भगा दिया गया।
सावित्रीबाई और यशवंत ने मोदी सरकार पर जताई नाराजगी
उधर, सांसद सावित्रीबाई फुले दलितों के मुद्दे को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। फुले ने यूपी में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम में रामजी जोड़े जाने के मसले पर भी योगी सरकार से नाराजगी जाहिर की थी। वहीं नगीना से सांसद डॉ. यशवंत सिंह ने पीएम को पत्र लिखकर दलितों के हित में चार साल के भीतर एक भी काम नहीं होने की बात कही है। साथ ही उन्होंने पीएम से आग्रह किया है कि वह जल्द आरक्षण बिल को पास कराएं।