भैयाजी जोशी ने की कांग्रेस में पॉलिटिकल सर्जिकल स्ट्राइक | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। जीहां, यदि कपिल सिब्बल की मानें तो यह पॉलिटिकल सर्जिकल स्ट्राइक ही है जो आरएसएस नेता भैयाजी जोशी ने प्लान की थी और पूरी तरह सफल भी रही। मामला जज लोया की मौत का है। जिस सूरज लोलगे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, कांग्रेस के मंच से प्रेस को संबोधित किया, दरअसल वो भाजपा का कार्यकर्ता था। भैयाजी जोशी ने उसे प्लानिंग के साथ भेजा था। अब कांग्रेस, भाजपा/आरएसएस और भैयाजी जोशी पर धोखेबाजी का आरोप लगा रही है। मजेदार बात यह है कि कांग्रेस समझ ही नहीं पाई कि जो उसके कंधे पर हाथ रखकर खड़ा है, उसके दूसरे हाथ में छुरा छुपा है। एक भाजपा कार्यकर्ता बड़ी ही चतुराई के साथ कांग्रेस में घुसा और उसे बदनाम करवाकर चला गया। 

पार्टी हेडक्वार्टर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि जज लोया मामले में याचिकाकर्ता असल में बीजेपी कार्यकर्ता था। सूरज लोलगे नाम के इस कार्यकर्ता ने आरएसएस नेता भैयाजी जोशी के कहने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। जोशी ने ही सूरज से कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस न ले। बता दें कि सिब्बल जिसे आरोपित कर रहे हैं उसी ने 31 जनवरी को कांग्रेस मुख्यालय में सिब्बल के साथ ही जज लोया के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। सिब्बल ने आज कहा कि बाद में पता चला कि सूरज भाजपा-आरएसएस से जुड़ा है। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी पर भी सहमति जताई, जिसमें कहा गया था कि जज लोया मामले की जांच की मांग असल में राजनीतिक मकसद से की जा रही है।

हमें जानकारी नहीं थी: कांग्रेस
सिब्बल ने कहा कि सूर्यकांत लोलगे उर्फ सूरज लोलगे ने कारवां मैगजीन में जज लोया की मौत की रिपोर्ट छपने के बाद पहली बार बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में 27 नवंबर 2017 को जनहित याचिका दायर की थी। इससे जुड़ी बाकी सभी याचिकाएं 2018 में दायर हुईं। सिब्बल ने बताया कि लोलगे ने इसी साल जनवरी में एक वकील-कार्यकर्ता सतीश उके के साथ कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था। इसमें उन्होंने जज लोया की मौत की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी से कराने की मांग की थी। सिब्बल के मुताबिक, उस वक्त पार्टी लोलगे और बीजेपी-आरएसएस से उनकी करीबी के बारे में नहीं जानती थी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जज लोया मामले से जुड़ी एक याचिका में एसआईटी जांच की मांग की गई थी। हालांकि, कोर्ट ने ऐसी किसी भी जांच की मांग से इनकार कर दिया था।

भैयाजी जोशी के इशारों पर काम कर रहे थे लोलगे
सिब्बल के मुताबिक, कांग्रेस को बाद में पता चला कि सूरज लोलगे ने आरएसएस नेता भैयाजी जोशी के इशारों पर पीआईएल दाखिल की है और उन्हीं के इशारों पर सुप्रीम कोर्ट से इसे वापस लेने से भी इनकार कर दिया। इसके पीछे सिब्बल ने फरवरी 2018 में प्रदीप उके और सूरज लोलगो के बीच हुई टेलीफोन कॉल का हवाला दिया। उन्होंने भाजपा और आरएसएस पर आरोप लगाते हुए कहा कि याचिका डालने के पीछे आरएसएस और भैयाजी जोशी का हाथ था। हालांकि, इसके पीछे उनका क्या राजनीतिक मकसद था इसके पीछे सिब्बल ने दो संभावनाएं जताईं। 

सिब्बल ने कहा या तो भैयाजी जोशी जज लोया की मौत के मामले में जांच कराना चाहते थे या शायद ये चाहते थे कि मामला बिना जांच के ही बंद हो जाए। हालांकि, उन्होंने कहा कि अब मामला जनता के बीच में है और देश के लोगों को फैसला करना है कि आरएसएस का मकसद क्या था।

क्या है जज लोया की मौत का मामला?
सीबीआई के स्पेशल जज बीएच लोया की मौत 1 दिसंबर 2014 को नागपुर में हुई थी। वे अपने कलीग की बेटी की शादी में शामिल होने जा रहे थे। उस वक्त जज लोया के साथ बॉम्बे हाईकोर्ट के चार और जज थे। उन्होंने बयान में कहा था कि रास्ते में जज लोया को हार्ट अटैक आया। उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था, जहां उनकी मौत हो गई थी।

मौत पर सवाल क्यों उठे?
पिछले साल नवंबर में जज लोया की मौत के हालात पर उनकी बहन ने शक जाहिर किया। इसके तार सोहराबुद्दीन एनकाउंटर से जोड़े गए। दावा है कि परिवार को 100 करोड़ रुपए की रिश्वत देने की कोशिश की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने सुनवाई पर उठाए थे सवाल
सुप्रीम कोर्ट के चार जजों जस्टिस जे चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, कुरियन जोसेफ और एमबी लोकुर ने 12 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर काम का बंटवारा ढंग से नहीं करने का आरोप लगाया था। इसी दौरान उन्होंने कहा था कि जस्टिस लोया का केस किसी सीनियर जज के पास जाना चाहिए था, लेकिन इसे जूनियर जज की बेंच के पास भेजा गया। इसके बाद जस्टिस अरुण मिश्रा ने इस केस की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

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