नई दिल्ली (एजेंसी)। कर्मचारियों को बीते वित्त वर्ष 2017-18 के लिए भविष्य निधि (पीएफ) पर 8.55 फीसदी ब्याज मिलने में कोई अड़चन आने की संभावना नहीं है। केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के करीब पांच करोड़ सदस्यों को 8.55 फीसदी ब्याज देने के फैसले पर वित्त मंत्रालय को कोई असहमति नहीं है।
ईपीएफओ के सेंट्रल ट्रस्टी बोर्ड (सीबीटी) ने 21 फरवरी 2018 को बैठक में पिछले वित्त वर्ष के लिए 8.55 फीसदी ब्याज देने का फैसला किया था। इसका प्रस्ताव मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेजा गया है। गंगवार के अनुसार वित्त मंत्रालय ने ईपीएफओ के प्रस्ताव को नामंजूर नहीं किया है। वह हमारे प्रस्ताव पर सुझाव दे सकते हैं। परंपरा के अनुसार मंत्रालय से मंजूरी मई या जून में मिल सकती है।
प्रस्तावित ब्याज दर पर कोई असहमति नहीं है। अगर कोई मतभेद होता तो अभी तक हमें उनके विचार मिल जाते। श्रम मंत्री ने उन अटकलों पर यह जवाब दिया है जिनमें कहा जा रहा है कि मंत्रालय शायद 8.55 फीसदी ब्याज के प्रस्ताव को मंजूरी न दे। हालांकि यह दर वर्ष 2016-17 के 8.65 फीसदी ब्याज से भी कम है। सदस्यों को 8.55 फीसदी ब्याज देने के बाद ईपीएफओ के पास 586 करोड़ रुपए सरप्लस बचेगा।
पीएफ पर ब्याज दर जस का तस रखने की तैयारी
यह दर पिछले पांच साल में सबसे कम है। ईपीएफओ ने वर्ष 2015-16 में 8.8 और 2013-14 व 2014-15 में प्रति वर्ष 8.75 और 2012-13 में 8.5 फीसदी ब्याज दिया था। पेंशन बढ़ाने का प्रस्ताव नहीं कर्मचारी पेंशन स्कीम 1995 में मासिक पेंशन बढ़ाने के सवाल पर गंगवार ने कहा कि इस तरह का कोई प्रस्ताव श्रम मंत्रालय के पास विचाराधीन नहीं है।
सरकार ने पेंशनधारकों को न्यूनतम 1000 रपए मासिक पेंशन देने के लिए 2014-15 में 800 करोड़ रुपए दिए थे। श्रम संगठन न्यूनतम पेंशन 3000 रुपए करने और इसे महंगाई के सूचकांक से जोड़ने की मांग कर रहे हैं।