भोपाल। भाजपा ने मप्र के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सांसद राकेश सिंह के नाम का ऐलान कर दिया है। इसी के साथ अब इस ताजपोशी के कारण भाजपा को होने वाले नफा नुक्सान का आंकलन शुरू हो गया है। बता दें कि सांसद राकेश सिंह पिछड़ा वर्ग से आते हैं। मप्र में पिछड़ा वर्ग के 54% वोट हैं। सीएम शिवराज सिंह भी इसी वर्ग से आते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि मप्र के चल रहे वर्ग संघर्ष में यही एकमात्र उचित व उत्तम समाधान था।
राकेश सिंह की ताजपोशी प्रदेश में बड़ी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। भाजपा राज्य के मालवांचल की तरह महाकौशल में भी अपनी पेठ बनाना चाहती है। राकेश सिंह की मजबूत जातीय और क्षेत्रीय पकड़ इसमें पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकती है। केन्द्रीय नेतृत्व ने पूर्व से ही राकेश सिंह का नाम तय कर लिया था। सीएम शिवराज सिंह को इसकी जानकारी दी गई और तय रणनीति के तहत कोर कमेटी की बैठक में शिवराज सिंह ने खुद राकेश सिंह का नाम प्रस्तावित किया।
महाकौशल में भाजपा मजबूत होगी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की दो पहले दिल्ली यात्रा के दौरान ही महाकौशल क्षेत्र से जुड़े राकेश सिंह का नाम तय हो गया था। सीएम ने दिल्ली में अमित शाह और रामलाल से चर्चा की थी। कल रामलाल ने भोपाल आकर कोर कमेटी के सदस्यों से इस नाम पर औपचारिक मुहर लगवा ली। अध्यक्ष बनने के बाद राकेश सिंह आज दोपहर साढे बारह बजे प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुुंचे। यहां उन्होंने संगठन महामंत्री सुहास भगत, सह संगठन महामंत्री अतुल राय समेत कई नेताओं से मुलाकात की। महाकौशल को दायित्व देने के लिए पार्टी में लंबे समय से कवायद चल रही थी।
ये है 54% वोटों का गणित
पिछले कुछ समय से सीएम शिवराज सिंह दलित ऐजेंडे को लेकर चल रहे हैं। इसके कारण पिछड़ा वर्ग नाराज हो गया और शिवराज सिंह विरोधी हो गया। मप्र में पिछड़ा वर्ग को भाजपा को वोटबैंक माना जाता है। उमा भारती और बाबूलाल गौर भी पिछड़ा वर्ग से ही थे। दलितों को प्रसन्न करने की कोशिश में सवर्ण वोट हाथ से जाता नजर आ रहा है। हालात वर्ग संघर्ष के बन गए। ऐसे में यदि किसी ठाकुर या ब्राह्मण की ताजपोशी होती तो दलित वोट खिसक जाता और यदि किसी दलित या आदिवासी को प्रदेश अध्यक्ष बनाते तो सवर्ण रूठ जाते। यही एक मात्र बीच का रास्ता था। अब शिवराज से नाराज पिछड़ा वर्ग भी राकेश सिंह में उम्मीद देखते हुए भाजपा के साथ हो जाएगा।