भोपाल। मंदसौर गोलीकांड में हुई छह किसानों की मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है। मामले की जांच कर रहे जस्टिस जे.के. जैन के सामने पेश हुए तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्र कुमार ने कहा कि गोली चलाने का आदेश तत्कालीन एसडीएम ने दिया था। वहीं इससे पहले गोली चलाने वाले सीआरपीएफ जवानों ने कहा था कि उन्होंने किसी के आदेश पर गोली नहीं चलाई थी। बल्कि किसान उनसे बंदूक छीन रहे थे और इसी छीना-झपटी में गोली चल गई। दो तरह के बयान आने के बाद अब 6 अप्रैल को अंतिम बहस होगी।
मंदसौर गोलीकांड को लेकर जस्टिस जेके जैन आयोग के समक्ष हुई सुनवाई में मंदसौर के तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह के बयान हुए। उन्होंने कहा कि 6 जून को उन्हें सूचना मिली थी कि पिपलिया मंडी थाना क्षेत्र में गोली चल गई है। तब वे एसपी के साथ पिपलिया मंडी थाने पहुंचे, जहां एसडीएम ने बताया था कि स्थिति अत्यंत खराब होने पर उन्होंने ही लिखित में गोली चलाने के आदेश दिए थे।
जवानों ने कहा था किसान बंदूक छीन रहे थे
वहीं 26 मार्च को आयोग के सामने गोली चलाने वाले सीआरपीएफ जवानो के बयान हुए थे, जिसमें जवानों ने कहा था कि किसान उनसे बंदूक छीन रहे थे और इसी छीना-झपटी में गोली चल गई। इस मामले में जिस तरह से अलग अलग बयान आए उससे ये तय कर पाना मुश्किल हो रहा है कि इस कांड का असली गुनहगार कौन है और यही कारण है कि अब तक बयानों पर अंतिम बहस के लिए जस्टिस जैन ने 6 अप्रैल की तारीख मुकर्रर की है।
आयोग ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर और रतलाम के पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने उनके बयान दर्ज कराने की याचिका लगाई थी जिसे आयोग ने खारिज कर दिया।