
ई-कॉमर्स साइट्स पर जाली प्रॉडक्ट की बिक्री से जुड़ी यह जानकारी ऐसे समय में सामने आई है, जब कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री ई-कॉमर्स के लिए रूल्स बनाने पर काम कर रही है। इसका मकसद ई-कॉमर्स कंपनियों की जवाबदेही पक्की करना है। ऑनलाइन शॉपिंग को लेकर लोगों की शिकायतें बढ़ने से मिनिस्ट्री को यह कदम उठाना पड़ा है। सर्वे में शामिल ज्यादातर कंज्यूमर्स ने कहा कि उन्हें ई-कॉमर्स साइट्स पर परफ्यूम और फ्रेगरेंस खरीदने पर जाली प्रॉडक्ट मिले। इसके अलावा शूज, स्पोर्टिंग गुड्स, अपैरल और बैग जैसी कैटेगरी में भी बड़ी संख्या में नकली प्रॉडक्ट्स बिकने का खुलासा हुआ है।
हाल ही में अमेरिका के लाइफस्टाइल और फुटवियर ब्रांड स्केचर्स ने कथित तौर पर अपने ब्रांड के नाम पर जाली प्रॉडक्ट्स बेचने के लिए फ्लिपकार्ट और इससे जुड़े चार सेलर्स को कोर्ट में घसीटा था। 2014 में दिल्ली हाई कोर्ट ने शॉपक्लूज पर प्रॉडक्ट्स पर लॉरियल का नाम इस्तेमाल करने से रोक लगाई थी। कॉस्मेटिक्स बनाने वाली लॉरियल ने शॉपक्लूज के खिलाफ अपने ट्रेडमार्क से जाली प्रॉडक्ट्स बेचने का आरोप लगाया था। अरविंद इंटरनेट के सीईओ और ई-कॉमर्स कंपनी जबॉन्ग के पूर्व फाउंडर, मुकुल बाफना ने कहा, 'चीन की तरह भारत में भी जाली प्रॉडक्ट्स एक बड़ी समस्या हो सकती है। यह विशेषतौर पर लग्जरी आइटम्स और बैग जैसे प्रॉडक्ट्स के लिए है।'
वेलोसिटी MR के सर्वे से पता चला है कि अधिकतर कस्टमर्स अपने ऑर्डर से अलग प्रॉडक्ट मिलने या पैकेजिंग और रंग के जरिए जाली प्रॉडक्ट्स की पहचान कर लेते हैं। इंडस्ट्री से जुड़े एग्जिक्यूटिव्स का कहना है कि बहुत से कस्टमर्स जाली प्रॉडक्ट्स की पहचान नहीं कर पाते और इस वजह से ऐसे मामलों की कम संख्या सामने आती है। ई-कॉमर्स कंपनियों का कहना है कि वे अपने प्लेटफॉर्म के जरिए जाली प्रॉडक्ट्स की बिक्री रोकने को सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठा रही हैं। इनमें फ्रॉड करने वाले सेलर्स को हटाना, टैम्पर प्रूफ पैकेजिंग का इस्तेमाल करना और वेयरहाउस की निगरानी शामिल हैं।