भोपाल। पिछले दिनों सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 5 बाबाओं को मंत्री पद का दर्जा दिया। इसे लेकर देश भर में हंगामा हुआ। विपक्षी दलों ने भाजपा पर हमले किए तो सोशल मीडिया पर भी मुख्यमंत्री के इस कदम की निंदा की गई लेकिन भोपालसमाचार.कॉम के सर्वे में पब्लिक नए मूड में नजर आई। सरल शब्दों में कहें तो पब्लिक ने इस मुद्दे पर कोई रुचि ही नहीं दिखाई। लगता है उसे फर्क नहीं पड़ता अब शिवराज जो चाहे वो करें।
क्या नतीजा रहा आॅनलाइन सर्वे का
भोपालसमाचार.कॉम ने 1.40 लाख लोगों ने पूछा था कि 'सीएम शिवराज सिंह द्वारा नर्मदा घोटाले की पोल खोलने जा रहे बाबाओं को मंत्री का दर्जा देना क्या सही फैसला है। लेकिन मात्र 3240 लोगों ने ही इस विषय में रुचि दिखाई और मात्र 415 लोगों ने अपना वोट दिया। 90 प्रतिशत लोगों ने इसे गलत फैसला बताया जबकि 10 प्रतिशत लोगों ने इसे सही करार दिया। इसे आधार बनाकर कहा जा सकता है कि बाबाओं को मंत्री दर्जा देने से मध्यप्रदेश नाराज है परंतु यह कहना गलत होगा, क्योंंकि सही यह है कि रेंडम सर्वे में 90 प्रतिशत लोगों ने भाग ही नहीं लिया।
पब्लिक की चुप्पी को क्या समझें
अब बड़ा सवाल यह है कि पब्लिक की इस चुप्पी के क्या मायने निकाले जाएं।
यदि इसे सीएम शिवराज सिंह का समर्थन मानें तो गलत होगा, क्योंकि यदि ऐसा होता तो वो फैसले के पक्ष में वोटिंग करते।
यदि इसे सीएम शिवराज सिंह के प्रति नाराजगी मानें तो भी गलत होगा क्योंकि मात्र 415 लोगों के वोट पर नतीजा नहीं निकाला जा सकता।
तो क्या जनता ने शिवराज सिंह के फैसलों की समीक्षा करना बंद कर दिया है। ऐसा अक्सर तब होता है जब जनता को सुधार की उम्मीद ही ना रहे। या फिर उसने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।