इंदौर। राज्य सरकार ने जिन बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है, वे वास्तव में संन्यासी हैं ही नहीं। संन्यासी का मतलब होता है जिसने अपना सर्वस्व न्यास को सौंप दिया हो, लेकिन राज्यमंत्री का दर्जा पाने वाले बाबा तो अब खुद चुनाव में टिकट मांग रहे हैं। संन्यासी कोई पद स्वीकार नहीं सकते। जो पद स्वीकार ले, वह संन्यासी है ही नहीं। विहिप में सिर्फ चेहरा बदला है, एजेंडा नहीं। यह बाद विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नवनिर्वाचित अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष वीएस कोकजे ने कही।
4 माह से तोगड़िया को समझाने की कोशिश कर रहे थे
विहिप अध्यक्ष के लिए हुए चुनाव को लेकर उन्होंने कहा हमारी परंपरा है कि किसी पदाधिकारी को दो टर्म से ज्यादा एक पद पर नहीं रखा जाता। प्रवीण तोगड़िया लगातार तीन टर्म से अध्यक्ष बनते आ रहे थे। उन्हें लग रहा था कि बहुमत उनके साथ है, लेकिन ऐसा नहीं होता। कोई व्यक्ति संगठन से बड़ा नहीं हो सकता। चार महीने से प्रयास चल रहे थे कि तोगड़िया खुद ही इस बात को समझ जाएं, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
शांति के साथ अपनी बात रखता हूं
अपनी शांत छवि को लेकर जस्टिस कोकजे ने कहा कि हर व्यक्ति का अपनी बात कहने का तरीका अलग-अलग होता है। कुछ लोगों को लगता है कि वे जोर-जोर से बोलकर अच्छे से समझा सकते हैं, लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता। मैं शांत स्वभाव का हूं, लेकिन इससे मेरी बात का महत्व कम नहीं हो जाता। विहिप के एजेंडे में कोई बदलाव नहीं होगा। आज भी हमारी प्राथमिकता राम मंदिर निर्माण है। जैसे ही कोर्ट का फैसला आएगा, हम निर्माण में जुट जाएंगे। तैयारी आज भी चल रही है।