नई दिल्ली। इराक के तानाशाह शासक सद्दाम हुसैन को कौन नहीं जानता। कहते हैं कि उनके कई हमशक्ल भी थे जो युद्ध के समय दुश्मन को भ्रमित करने का काम करते थे। अमेरिका ने युद्ध के दौरान सद्दाम हुसैन को गिरफ्तार करने का दावा किया था। उसके बाद सद्दाम हुसैन को फांसी की सजा दी गई और शव उनके गांव गांव अल-अवजा में दफनाया गया परंतु अब खबर आ रही है कि सद्दाम हुसैन की कब्र बर्बाद हो गई है। उसमें सद्दाम का शव नहीं है।
एक शख्स, जो करीब 20 साल तक इराक की सत्ता संभाले रहा, को 30 दिसंबर 2006 को फांसी पर लटकाया गया था। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू. बुश ने खुद तानाशाह के शव को अमेरिकी मिलिटरी हेलिकॉप्टर से बगदाद रवाना किया था, जहां अल-अवजा में उन्हें दफनाया गया। लेकिन आज, इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार सद्दाम का शव गया कहां? क्या उनका शव अल-अवजा में ही है या फिर उसे खोदकर निकाल लिया गया है और अगर ऐसा है तो उसे कहां ले जाया गया है?
69 साल के सद्दाम को फांसी देने के बाद उन्हें भोर होने से पहले ही दफना दिया गया था। इसके बाद यह जगह एक तीर्थस्थल में बदल गई थी और स्थानीय स्कूली छात्रों के समूह और सद्दाम के समर्थक हर साल 28 अप्रैल को उनके जन्मदिन के मौके पर यहां इकट्ठे होते थे। हालांकि, अब इस जगह पर आने के लिए विशेष आज्ञा की जरूरत होती है।
सद्दाम को कब्र से निकालकर जलाया दिया गया
सद्दाम के वंश से जुड़े शेख मनफ अली अल-निदा का कहना है कि सद्दाम की कब्र को खोदा गया और उन्हें जला दिया गया। हालांकि, वह यह भी कहते हैं कि उन्होंने ऐसा होते हुए नहीं देखा। दूसरी तरफ सद्दाम की कब्र की सुरक्षा में लगे शिया अर्द्धसैनिक बलों का कहना है कि आतंकवादी संगठन ISIS द्वारा अपने लड़ाके यहां तैनात करने के बाद इराकी हवाई हमलों में कब्र बर्बाद हुई है। सुरक्षाबल के प्रमुख जाफर अल-घरावी ने दबाव देते हुए कहा, 'सद्दाम का शव अभी भी यहीं है।'
बेटी ले गई पिता का शव?
सद्दाम के लिए काम कर चुके एक लड़ाके ने यह भी आशंका जाहिर की कि सद्दाम की निर्वासित बेटी हाला एक निजी विमान से अवजाह आईं और पिता के शव को अपने साथ जॉर्डन ले गईं। इस पर सद्दाम के समय के स्टूडेंट और अब प्रफेसर बन चुके एक शख्स ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, 'असंभव, हाला कभी इराक लौटी ही नहीं। शव को कहीं गुप्त स्थान पर ले जाया गया है। कोई नहीं जानता कि शव को कौन और कहां ले गया।' पर कुछ अन्य लोगों की तरह ही बगदाद निवासी अबु समीर का मानना है कि सद्दाम अभी भी जिंदा है। उन्होंने कहा, 'सद्दाम मरे नहीं। जिसे फांसी दी गई थी, वह उनके हमशक्लों में से एक था।'