बरेली। यूपी बोर्ड के 12वीं का रिजल्ट कल घोषित हो गया । इसमें कई स्टूडेंट्स ने शानदारी प्रदर्शन किया लेकिन 17 साल की उमारा ने एक अलग ही कारनामा कर दिखाया। दरअसल, पिछले साल जून में पता चला कि वह पेन पकड़कर लिख नहीं सकती हैं। लेकिन बोर्ड के 12वीं के एग्जाम में 86.6% नंबर हासिल किए हैं। उमारा के परिवार वाले उन्हें बरेली में 4 अलग-अलग डॉक्टर्स के पास ले गए लेकिन कोई भी उनकी बीमारी समझ नहीं पाया। इस वजह से वह एक शब्द भी स्कूल या घर में नहीं लिख पाती थीं।
समस्या के बावजूद लगातार क्लास अटेंड करने वाली उमारा ने बताया, 'जब भी मैं पेन पकड़ने की कोशिश करती, मेरी उंगलियां इसमें नाकाम रहतीं। मुझे एक शब्द लिखने के लिए भी काफी जोर लगाना पड़ता था। बरेली में डॉक्टर्स ने मुझे दवाइयां दीं लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मैं हमेशा रोती थी क्योंकि मैं क्लास में नोट्स नहीं बना पाती थी। मेरे टीचर्स जिन्हें मेरी प्रॉब्लम के बारे में पता था, वे मुझे नोट्स के फोटोकॉपीज दे देते थे। मैं चैप्टर्स याद करती थी लेकिन फिजिक्स और केमिस्ट्री में समस्या आती थी जिसमें न्यूमेरिकल प्रॉब्लम्स होती थीं और उसे मैं सॉल्व नहीं कर पाती थी।
जब 8 महीने तक कोई आराम नहीं मिला तो उमारा सरस्वती गर्ल्स विद्या मंदिर इंटर कॉलेज यानी अपने स्कूल को छोड़ने के बारे में सोचने लगीं। उमारा कहती हैं, 'मुझे नहीं पता था कि मैं कैसे अपने पेपर दूंगी जो फरवरी से शुरू होने हैं। मैंने अपने परिवार को बताया कि मैं एग्जाम नहीं देना चाहती हूं। 12वीं के एग्जाम शुरू होने से 20 दिन पहले मेरे बड़े भाई मो. जुबैर अली मुझे दिल्ली के एम्स अस्पताल में ले गए जहां डॉक्टर्स ने मुझे बताया कि मैं ऐसी बीमारी से जूझ रही हूं जिससे उंगलियों में तेज दर्द होता है और लिखने में समस्या होती है।'
एग्जाम के पहले सही इलाज ने उमारा की हालत में सुधार तो किया लेकिन चूंकि उन्होंने एक साल तक लिखा नहीं था, इस वजह से एग्जाम के दौरान उनकी स्पीड और क्षमता प्रभावित हुई। हालांकि, यह बीमारी भी उनकी भावना पर रोक नहीं लगा सकी। उमारा की स्कूल प्रिंसिपल अर्चना ने कहा, 'उमारा होशियार बच्ची है और उसने 10वीं और 11वीं में स्कूल में टॉप किया था। अगर बीमारी की वजह से उसकी स्पीड प्रभावित न होती तो वह इस साल दोबारा हमारे स्कूल की टॉपर होती।'