27 मौतों के जिम्मेदार अधिकारियों को सरकारी संरक्षण, खैरी विस्फोट का 1 साल

Bhopal Samachar
आनंद ताम्रकार/बालाघाट। जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर खैरी ग्राम में स्थित पटाखा फैक्ट्री में गत वर्ष 7 जून 2017 को दोपहर 3 बजे लगभग हुये विस्फोट में घटना स्थल पर ही 18 लोगों की मृत्यु हो गई थी 9 लोग गंभीर रूप से घायल हो गये थे जिनकी उपचार के दौरान मौत हो गई। इस तरह 27 स्त्री-पुरूष विस्फोट में मारे गये, इस घटना में अनेकों का परिवार तबाह हो गया। सरकार ने तत्काल जांच के आदेश दिए थे परंतु अब तक जांच रिपोर्ट का पता नहीं है। इस मामले में स्पष्ट है कि यह घटना 4 विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों की घूसखोरी एवं मक्कारी के कारण हुई। सवाल यह है कि ऐसे घूसखोर और मक्कार अधिकारियों को क्यों बचा रही है सरकार। 

जांच में क्या मिला, 1 साल बाद भी पता नहीं


मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिवारों को 2-2 लाख रूपये की अनुग्रह राशि प्रदान की थी कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने इस घटना की दण्डाधिकारी जांच के निर्देश दिये थे जिसके आधार पर तत्कालीन कलेक्टर श्री भरत यादव ने जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी, अपर कलेक्टर श्रीमति मंजूषा राय को जांच अधिकारी नियुक्त किया था। जांच के निष्कर्ष 3 माह से अंतराल में दिये जाने थे। इसी दौरान जांच अधिकारी श्रीमति मंजूषा राय को हटाकर अपर कलेक्टर श्री शिवगोंविद मरकाम को जांच अधिकारी बनाया गया। आगामी 7 जून को इस घटनाक्रम के घटित होने को 1 वर्ष हो रहा है लेकिन आज तक जांच रिपोर्ट का क्या हुआ अब तक पता नही चला।

सरकार की नियत पर सवाल

इस संबंध में जांच अधिकारी अपर कलेक्टर श्री मरकाम से जांच रिपोर्ट के संबंध में जानकारी प्राप्त करने पर पता चला की जांच रिपोर्ट 2 माह पूर्व ही शासन को भेज दी गई है। तत् संबंध मेें अब तक कोई निर्देश शासन से प्राप्त नही हुये है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम में 27 लोगों ने अपनी जान गवां दी। संवेदनशील प्रशासन ने जांच बिठाकर अपनी औपचारिकता पूर्ण कर दी लेकिन इस घटनाक्रम के लिये नीचे से लेकर उपर तक का जो अमला जिम्मेदार है उस पर अब तक कोई कार्यवाही ना होना तथा जांच रिपोर्ट के निष्कर्षो को सार्वजनिक ना किये जाने से सरकार की नियत पर प्रश्नचिन्ह लगता है।

मक्का/घूसखोरों को क्यों बचा रही है सरकार

इस घटनाक्रम के लिये राजस्व, पुलिस, विद्युत, श्रम विभाग की लापरवाही साफ साफ दिखाई दे रही है। मौके का मुआयना किये बगैर पटाखा फैक्ट्री के संचालन की अनुमति कैसे दे दी गई? जांच रिपोर्ट के अब तक उजागर ना होने से यह कयास लगाया जा रहा है की इस घटनाक्रम के लिये जो अधिकारी जिम्मेदार है उन्हें क्लीनचिट देने की कवायद की जा रही है। इतना ही नही जिन अधिकारियों को अब तक कटघरे में खडे होते दिखाई देना था वे राजनेताओं के गले में हाथ डालकर मुस्कुराते हुये फोटो में दिखाई देते है। ये कैसा संवेदनशील प्रशासन है?
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