भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 29 मई की कैबिनेट मीटिंग में अध्यापकों के शिक्षा विभाग मे संविलियन को मंजूरी तो देरी परंतु दिग्विजय सिंह द्वारा मृत घोषित किए गए कैडर 'शिक्षक' को पुनर्जीवित नहीं किया। अध्यापकों को नया पदनाम दिया गया। उन्हे प्राथमिक शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक, उच्च माध्यमिक शिक्षक कहा जाएगा। इस बात से अध्यापक संवर्ग नाराज है और सविलियन के आदेश से नियमित शिक्षक संवर्ग भी नाराज हो गया। गुस्साए शिक्षक वित्तमंत्री जयत मलैया के बंगले पर जा पहुंचे और घेराव किया।
अध्यापक संवर्ग के संविलियन के मप्र सरकार के फैसले के तुरंत बाद ही 28 हजार नियमित शिक्षकों ने विरोधी रुख अपना लिया है। विधायक विश्राम गृह में एक अधिवेशन के लिए भोपाल आए नियमित शिक्षकों ने मंगलवार को पहले वित्तमंत्री जयंत मलैया का बंगला घेरा, फिर स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी के निवास पर पहुंच गए। उनका कहना था कि 40 साल से सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन कोई पदोन्नति नहीं मिली। जबकि अध्यापक संवर्ग का संविलियन करके कनिष्ठों को हमारे ऊपर बिठा दिया गया।
बैतूल के नारायण सिंह नगदे का कहना है कि हमें बताया गया था कि कैबिनेट में हमारा विषय भी है, लेकिन वो था ही नहीं। यदि मांगें नहीं मानी गई तो सीएम के गांव जैत में जाकर प्रदर्शन करेंगे। वित्तमंत्री मलैया के बंगले पहुंचे शिक्षकों को वित्तमंत्री ने बताया कि इस कैबिनेट में उनका कोई विषय नहीं था। अगली कैबिनेट में लाने पर बात करेंगे। जोशी ने शिक्षकों से कहा कि नीतिगत निर्णय वे नहीं ले सकते।
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