भोपाल। बैंक लोगों की सुविधा के लिए बने हैं। यदि बैंक की लापरवाही की वजह से उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़े तो यह सेवा में कमी है। यह टिप्पणी जिला उपभोक्ता फोरम के पीठासीन सदस्य सुनील श्रीवास्तव और अलका सक्सेना की बेंच ने बैंक आॅफ इंडिया के खिलाफ पहुंचे मामले में सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। फोरम ने दो मामलों में सुनाई करते हुए उन्हें सेवा में कमी का दोषी पाया। फोरम ने बैंकों पर हर्जाना लगाते हुए भविष्य में बेहतर सेवाएं देने की नसीहत दी।
केस-1 बैरसिया रोड़ निवासी आर रूसिया ने उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया। उन्होंने शिकायत में बताया कि बैंक आॅफ इंडिया शाखा हमीदिया रोड़ में सावधि जमा के दो खाते थे। नियम के अनुसार 15-एच फार्म भरकर दिया जाता है तो खातों से कोई टीडीएस नहीं काटा जाता है। वर्ष 2012-13 मेंं भी आवेदक द्वारा 15-एच फार्म भरकर दिया था। इसके बाद बैंक ने उनके खाते से 920 रुपए काट लिए। यही नहीं एफडी की परिपक्वता राशि में से भी 2060 रुपए काट लिए। इसके अलावा सावधि जमा खाते के नवीनीकरण के समय पर भी 193 रुपए काट लिए। जब उन्होंने काटी गई राशि वापस करने कहा तो बैंक ने इंकार कर दिया। फोरम ने बैंक को सेवा में कमी को दोषी पाते हुए आवेदक को 5 हजार रुपए हर्जाना अदा करने के आदेश दिए।
केस- 2 आनंद नगर निवासी विनोद ने परिवाद दायर करते हुए बताया कि उनकी किराने की दुकान है। उनका बैंक आॅफ इंडिया की शाखा आनंद नगर में एकाउंट है।उन्होंने 9 दिसंबर 2013 को आर्यन कंपनी को 4875 रुपए का चेक दिया था। बैंक ने उसका भुगतान नहीं किया। आवेदक की शिकायत के बाद बैंक ने दो साल बाद जुलाई 2015 में 4875 रुपए की राशि आवेदक के खाते में जमा कर दी गई। फोरम ने बैंक को सेवा में कमी का दोषी पाते हुए बैंक को आदेश दिए कि वह आवेदक की चेक राशि 4875 पर दो साल का 10 प्रतिशत ब्याज की दर से राशि का भुगतान और 7 हजार रुपए हर्जाना देने के आदेश दिए।