
पत्रकार बृजेंद्र मिश्रा की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में आईएएस, आईपीएस समेत अन्य नौकरशाहों के लिए पैसा खपाने का सबसे बेहतर विकल्प जमीन में निवेश करना रहा है। इसी के चलते पिछले एक दशक में इन अधिकारियों ने बड़े-बड़े फार्म हाउस खरीदे हैं। ये फार्महाउस और अन्य जमीनी कारोबार अधिकारियों द्वारा रिश्तेदारों, नौकरों, परिवार के सदस्यों के नाम पर किए गए। केंद्र सरकार द्वारा प्रॉपर्टी की सालाना जानकारी देने के मामले में परिवार के सदस्यों का नाम उजागर करने और बेनामी प्रापर्टी एक्ट 1 नवम्बर 2016 से लागू होने के बाद इन अधिकारियों को पोल खुलने का रास्ता साफ हो गया। इसे देखते हुए अब ब्यूरोक्रेट्स ने अपने बेनामी नाम पर ट्रांसफर कराना शुरू कर दिया है।
कुछ ने भेजी प्रॉपर्टी रिटर्न की जानकारी
आयकर विभाग ने अपनी पड़ताल के बाद करीब आधा दर्जन अधिकारियों को नोटिस देकर उनसे जवाब भी तलब किया है वहीं सूत्रों का कहना है कि कुछ अधिकारियों से उनके प्रापर्टी रिटर्न के बारे में भी जानकारी मांगी गई है ताकि उनके इन्वेस्टमेंट की लिंक की जानकारी पुख्ता कर विभाग अपनी आगे की कार्यवाही की रणनीति तय कर सके। बताया जाता है कि कुछ अफसरों ने अपनी ओर से जानकारी दे भी दी है। इधर विभाग की टीम यह भी देख रहा है कि पिछले डेढ़ सालों में जांच के घेरे में आए प्राइम लोकेशन वाले कितने फार्म हाउस और जमीन के बड़े टुकड़ों के नामांतरण और खरीद फरोख्त की कार्रवाई एक दशक के अंतराल में एक से अधिक बार हुई है। इससे और भी लोगों के नाम सामने आ सकेंगे।