बीएस येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया है। वो 57 घंटे तक सीएम रहे। शपथ ग्रहण के बाद उन्होंने बहुमत का दावा किया था परंतु सदन में बहुत साबित करने की कोशिश तक नहीं कर पाए। प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया और इसी के साथ एक नेशनल लेवल का रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज हो गया। बीएस येदियुरप्पा अब भारत में सबसे कम समय तक कुर्सी पर रहे मुख्यमंत्री बन गए हैं। उनसे पहले यह रिकॉर्ड शिबू सोरेन के नाम दर्ज था।
सबसे कम दिन के लिए सीएम बनने का रिकॉर्ड यूपी के नेता जगदंबिका पाल का रहा है। 21 फरवरी 1998 को राज्यपाल भंडारी ने कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर सीएम के लिए जगदंबिका पाल को शपथ दिलाई थी लेकिन अगले ही दिन गवर्नर के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने गवर्नर का आदेश बदल दिया। जगदंबिका पाल बहुमत साबित नहीं कर पाए और फिर पाल को कुर्सी छोड़नी पड़ी। उन्हें 'वन डे वंडर ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स' कहा जाता है। 23 फरवरी को दोबारा कल्याण सिंह को सत्ता सौंप दी गई।
इनके अलावा कुछ और सीएम काफी कम दिन के लिए सीएम बने हैं। सतीश प्रसाद सिंह बिहार 28 जनवरी 1968 में बिहार के सीएम बने थे लेकिन उन्हें 5 दिन के बाद ही यानी 1 फरवरी को इस्तीफा देना पड़ा था। बिहार के मुख्यमंत्री पद पर बैठने वाले पिछड़ी जाति के पहले नेता थे सतीश प्रसाद सिंह। इस खेल के पीछे का खेल ये था कि बीपी मंडल को कैसे बिहार का मुख्यमंत्री बनाया जाए।
2 मार्च, 2005 को झारखंड में राज्यपाल ने झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन को अल्पमत में होते हुए भी सरकार बनाने के लिए निमंत्रित कर दिया और उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। बहुमत के लिए पर्याप्त संख्या नहीं जुगाड़ कर पाने पर शक्ति परीक्षण से पहले ही दस दिन बाद 12 मार्च, 2005 को केन्द्र सरकार के हस्तक्षेप पर शिबू सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद फिर भाजपा के अर्जुन मुंडा ने 12 मार्च, 2005 को जदयू और निर्दलीय विधायकों की मदद से नई सरकार का गठन किया।
24 दिसंबर 1987 को जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन का निधन हुआ तो यह तय नहीं था कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा। पार्टी विधायकों के एक गुट ने उनकी पत्नी के पक्ष में राज्यपाल को समर्थन पत्र भेज दिया। दूसरा पक्ष जयललिता के पक्ष में खड़ा था। राज्यपाल एसएल खुराना ने 7 जनवरी को जानकी रामचंद्रन को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी लेकिन वे सदन में बहुमत साबित नहीं कर पायीं और 28 जनवरी को उन्हें पद से हटना पड़ा। वह सिर्फ 24 दिन के लिए सीएम बन पाईं।
मेघालय के नेता एस सी मारक भी सिर्फ 6 दिन यानी 27 फरवरी 1998 से 3 मार्च 1998 के लिए सीएम बने थे।
सतीश प्रसाद सिंह गए तो सीएम के तौर पर बी पी मंडल आ गए। हालांकि उनका कार्यकाल भी लंबा नहीं रहा और वे 1 फरवरी से 2 मार्च 1968 तक सिर्फ 31 दिन के लिए सीएम बने।
केरल के सीएच मोहम्मद भी सत्ता का स्वाद ज्यादा दिन तक नहीं चख पाए थे। 12 अक्टूबर से सिर्फ 45 दिन सीएम रहकर वे 1 दिसंबर को सत्ता से हट गए।