भोपाल। मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आज कैबिनेट मीटिंग में अध्यापकों के संविलियन की मांग मंजूर कर ली। इसी के साथ अतिथि शिक्षक भड़क गए। उन्हे आश्वस्त किया गया था कि मई माह में उनके लिए गुडन्यूज आएगी। सभी 29 मई की कैबिनेट मीटिंग पर नजर गड़ाए बैठे थे। शिवराज सिंह ने ट्वीटर अकाउंट पर अध्यापकों के संविलियन की जानकारी दी। प्रतिक्रिया में अध्यापकों को सीएम को धन्यवाद तो कम बोला, लेकिन अतिथि शिक्षकों के कमेंट की बाढ़ नजर आई। वो बेहद संसदीय शब्दों में अपनी मांग दोहरा रहे हैं परंतु उनके भीतर भरा हुआ गुस्सा भी नजर आ रहा है।
पिछली बार शिवराज की नाक में दम कर दी थी
दरअसल, मप्र का अतिथि शिक्षक अब बहुत ही नाराज है और अपनी मांगो को मनवाने के लिये कुछ भी करने को तैयार हैं। अतिथि शिक्षक मई माह तक इंतजार कर रहे थे। उन्होंने ऐलान किया है कि ब्लॉक स्तर से लेकर राजधानी स्तर तक उग्र आंदोलन करेंगे। बता दें कि इससे पहले भी अतिथि शिक्षकों ने सीएम शिवराज सिंह की नाक में दम कर दिया था। वो जहां भी जाते थे, अतिथि शिक्षक भरी सभा में तख्तियां लेकर खड़े हो जाते थे, नारे लगाते थे। हालात यह थे कि सीएम शिवराज सिंह ने भरे मंच से उनका भविष्य बर्बाद करने की धमकी तक दे डाली थी।
तेंदुपत्ता तोड़ रहे हैं अतिथि शिक्षक
इस साल अतिथि शिक्षकों को 28 अप्रैल से मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बेरोजगार कर दिया गया है। जिससे अब अतिथि शिक्षक दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं। कुछ अतिथि शिक्षक अपनी रोजी-रोटी चलाने के दूसरे प्रदेशों मे जाकर नौकरी कर रहे हैं। कुछ गांवो मे मजदूरी कर रहे तो कुछ तेंदू पत्ता तोड़ने के लिये मजबूर है।
अप्रशिक्षित मजदूर से भी कम वेतन मिलता है अतिथि शिक्षकों को
बता दें कि अतिथि शिक्षक सरकारी स्कूलों की जिम्मेदारी आज लगभग दस साल से सम्भाले हुये है और इन्ही के दम पर सरकारी स्कूलों के रिजल्ट में काफी सुधार हुआ है। कई स्कूल केवल अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रही हैं। जिसके एवज मे उन्हे नाम मात्र का मानदेय 100/150/180 रूपये रोजाना दिया जाता है। जिससे उनका रोजी रोटी चलाना मुश्किल होती है। वही उन्हे अगस्त नियुक्त कर फरवरी मे निकाल दिया जाता। आज एक रेगुलर शिक्षक को जितना एक माह मे वेतन दिया जाता है उतना अतिथि शिक्षको को एक वर्ष मे नही मिलता।