ग्वालियर। कहते हैं कि पुलिस की लापरवाही के कारण बदमाशों के हौंसले बुलंद होते हैं, कभी कभी पुलिस की यही लापरवाही पुलिस वालों के परिवार पर भारी पड़ जाती है। यहां ऐसा ही हुआ। सीआईडी शाखा में कार्यरत मप्र पुलिस के एक प्रधान आरक्षक की 14 साल की बेटी का दिनदहाड़े चलते टेंपो में लगातार 3 घंटे यौन शोषण किया गया। इस दौरान टेंपो 3 थाना क्षेत्रों से निकला। कई चेकपाइंट भी मिले परंतु किसी ने टेंपो की तरफ नहीं देखा। पुलिस विभाग के लिए इससे ज्यादा शर्म की बात क्या होगी कि एफआईआर दर्ज कराने के लिए भी हेडकांस्टेबल पिता को इस थाने से उस थाने भेजा जाता रहा।
4 बदमाश आए और चलते टेंपो में गंदा काम करने लगे
पीड़ित छात्रा ने बताया कि मैं नौवीं की छात्रा हूं। जीडीए दफ्तर के पास अंग्रेजी की कोचिंग पढ़ने जाती हूं। शनिवार सुबह 8.30 बजे कोचिंग के लिए घासमंडी से किलागेट तक पैदल गई और फिर टेंपो में बैठ गई। उस समय टेंपो में एक आंटी बैठी थीं। सेवानगर से पहले आंटी उतर गईं। नूरगंज पर चार लड़के टेंपो में बैठे। टेंपो में उन चार लड़काें और मेरे अलावा कोई सवारी नहीं थी। लड़कों ने पहले गंदी फब्तियां कसना शुरू किया। इसके बाद मुझसे छेड़छाड़ करना शुरू कर दिया। एक लड़के ने मेरा मोबाइल छीनकर बंद कर दिया। चारों ने मुझे जबरदस्ती पकड़ लिया। जब मैं चिल्लाने लगी तो मेरा मुंह दबाकर जान से मारने की धमकी दी। कहा-टेंपो से नीचे फेंक देंगे।
गैंगरेप करने के लिए झाड़ियों में ले गए
जीडीए ऑफिस के सामने टेंपो पहुंचा तो मैं फिर चीखी। टेंपो वाले अंकल भी उनसे मिले हुए थे। चारों ने उनसे कहा- टेंपो मत रोकना। इसके बाद यह लोग फूलबाग से इंदरगंज फिर मोतीमहल, पड़ाव, स्टेशन होते हुए गोला का मंदिर के पास कटारे फार्म हाउस तक मुझे ले गए। दोपहर करीब 12.15 बजे लड़कों ने मुझे उतारकर टेंपो वाले को भगा दिया और झाड़ियों में ले जाकर मेरे साथ अश्लील हरकतें करने लगे।
मौका मिला तो भाग निकली
तभी दो लोग आते दिखे तो चारों लड़के भागकर कहीं छिप गए। मैं झाड़ियों से भागकर सड़क पर आ गई। मैंने मोबाइल चालू कर पापा को कॉल कर घटना बताई। पापा की एक दूसरे टेंपो वाले से बात भी कराई। हजीरा तक इस टेंपो वाले ने मुझे छोड़ा। यहां से पापा साथ ले गए। अब भी मेरी आंखों के सामने से वह नजारा नहीं हट रहा है। उनके हाथ कांटे जैसे चुभ रहे थे। मैं सामने आने पर आरोपियों को पहचान लूंगी।
पुलिस वाले को भी थाने दर थाने घुमाया
मेरी बेटी दो घंटे तक घर नहीं पहुंची। फोन किया तो मोबाइल बंद मिला। मैंने कोचिंग पर फोन किया तो पता लगा वह कोचिंग पहुंची ही नहीं। इसके बाद मैं पुलिस कंट्रोल रूम पहुंचा। पुलिसवालों ने मुझे ग्वालियर थाने जाने को कहा। वहां पहुंचा तो मुझे पड़ाव थाने जाने को कहा। इस बीच दोपहर 12.45 बजे बेटी का फोन आया। उसने घटना के बारे में बताया। मैं हजीरा से उसको लेकर पड़ाव थाने गया तो वहां से ग्वालियर थाने जाने को कहा गया। इस पर मेरे भाई ने एएसपी को फोन किया। इसके बाद ग्वालियर थाने में एफआईआर दर्ज हुई। मैं पुलिस विभाग का ही कर्मचारी हूूं और मेरे विभाग के कर्मचारियों ने ही मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया।
पीड़ित छात्रा के पिता