
आत्ममुग्ध या अशांत क्यों
ज्योतिरादित्य सिंधिया की पुरानी आदत है। वो ऐसा कोई अवसर नहीं चूकते जहां जनता का बड़ा समूह मौजूद हो। बीते रोज 10वीं-12वीं के परीक्षा परिणाम जारी हुए। सीएम शिवराज सिंह ने अवसर का लाभ उठाने के लिए सभी टॉपर्स को सीएम हाउस बुलाकर सम्मानित किया। उनके पास समय नहीं था। उन्होंने 45 मिनट लम्बा निर्बाध भाषण भी नहीं दिया। फिर भी सबको बुलाया और अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कमलनाथ ने सभी को शुभकामनाएं दीं परंतु ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीटर पर 2 शब्द तक नहीं लिखे।
आज कर्नाटक चुनाव के नतीजे आए। सीएम शिवराज सिंह ने कांग्रेस पर हमला किया। राहुल गांधी का मजाक उड़ाया गया। कमलनाथ, अजय सिंह समेत कई दिग्गज नेताओं ने राहुल गांधी का बचाव किया परंतु ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ना तो राहुल गांधी का बचाव किया और ना ही शिवराज सिंह पर कोई हमला किया। यहां तक कि उन्होंने औपचारिक शब्दों में जनादेश को स्वीकार तक नहीं किया।
क्या बात है जो छुपा रहे हो
ज्योतिरादित्य सिंधिया इन दिनों काफी बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। वो जनता के बीच जा रहे हैं। लोगों से मिल रहे हैं। सभाओं को संबोधित भी कर रहे हैं परंतु इस बार उनकी आवाज में वो खनक सुनाई नहीं दे रही। उनके शब्दों में वो जादू नजर नहीं आ रहा जो सबको ध्यान खींच लिया करता था। ऐसा लग रहा है मानो वो महज औपचारिकता निभा रहे हैं या फिर कुछ ऐसा है जिससे बचने के लिए वो लगातार भीड़ में बने हुए हैं। यदि एकांत में आए तो जो अंदर उबल रहा है वो अनियंत्रित हो जाएगा।