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शिकायतकर्ता ने बताया कि गांव में उसके मकान के निर्माण पर सरपंच ने रोक लगवा दी और नायब तहसीलदार के यहां बेदखली का आवेदन भी लगवा दिया। इस प्रकरण में शिकायतकर्ता के पक्ष में फैसला हुआ। जिसमें आठ हजार रुपए नायब तहसीलदार और बाबू पहले ही ले चुके थे। अब उसी प्रकरण में आदेश जारी करने के बदले 10 हजार की मांग की जा रही थी। बाद में समझौते के तहत चार हजार में बात तय हुई थी। शिकायतकर्ता की शिकायत की जांच के बाद लोकायुक्त एसपी ने टीम गठित कर कार्रवाई के लिए भेजा। सोमवार को जैसे ही नायब तहसीलदार शारदा प्रसाद मिश्रा एवं बाबू शिवानंद पांडेय ने चार हजार रुपए की रिश्वत ली, लोकायुक्त की टीम ने दोनों को रिश्वत के साथ गिरफ्तार कर लिया।
लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद हड़कंप मच गया। लोकायुक्त टीम के साथ मौजूद सशस्त्र बल ने भीड़ को दूर किया। आरोपी नायब तहसीलदार और बाबू के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7, 13(1)डी एवं 13(2) दो के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। इस कार्रवाई में लोकायुक्त की ओर से डीएसपी देवेश पाठक, निरीक्षक हितेन्द्रनाथ शर्मा, सुरेन्द्र मिश्रा, विवेक पांडेय, शैलेन्द्र मिश्रा सहित अन्य मौजूद रहे।