भोपाल। बड़े जतन करके कमलनाथ ने खुद को अध्यापकों की उम्मीद की एकमात्र किरण साबित किया था। मीटिंग्स हुईं, सम्मेलन हुए। वादे किए, जय जयकार करवाई। उम्मीद थी कि जब छत्तीसगढ़ में संविलियन नहीं हो पाया तो मप्र में कैसे होगा लेकिन सीएम शिवराज सिंह ने एक झटके में सारा खेल ही पलट गया। कमलनाथ भी कम नहीं हैं। उन्होंने शाम 5 बजे अध्यापकों को छोड़ा और 6 बजे संविदा कर्मचारियों को लुभाने में लग गए। पिछले दिनों संविदा कर्मचारियों ने राजनीति में खलबली मचा देने वाला आंदोलन किया था पंरतु कमलनाथ ने उन्हे 10 मिनट का वक्त तक नहीं दिया अब बयान जारी किया है कि शिवराज ने संविदा कर्मियों के साथ धोखा किया।
पढ़िए कमलनाथ का पूरा बयान
प्रदेश कांग्रेस प्रमुख ने मंगलवार को कहा कि आज कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण न कर ढाई लाख संविदा कर्मचारियों के साथ धोखा किया है। उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार ने कई बार नियमितीकरण को लेकर उन्हें आश्वस्त किया और झूठे वायदे किए। इस आश्वासन और झूठे वायदे पर संविदाकर्मी नियमितीकरण की मांग पूरी होने का इंजतार कर रहे थे, लेकिन कैबिनेट में नियमित करने की मांग मंजूर नहीं हुई और गोल-मोल निर्णय लेकर उनके साथ छल किया गया है।
अध्यापकों के जख्म कुरेदने की कोशिश
कमलनाथ ने अध्यापकों को स्कूल शिक्षा विभाग में शामिल किए जाने के निर्णय पर कहा, "मैं अध्यापकों के संघर्ष और जज्बे को सलाम करता हूं। अध्यापक लोग सरकार के जुल्म और धमकियों के आगे नहीं झुके। आखिर मुख्यमंत्री को यह मानना पड़ा कि अध्यापक देश का भविष्य हैं और उनके संविलियन की मांग जायज है लेकिन अफसोस है कि मुख्यमंत्री ने पूर्व में अध्यापकों की मांग नहीं मानी और हमारी अध्यापिका बहनों को मुंडन तक कराना पड़ा था। कमलनाथ ने मांग की, "मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को अध्यापकों के शिक्षा विभाग में संविलियन में हुई बहुत देरी के लिए अध्यापक भाइयों और बहनों से माफी मांगना चाहिए।
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