किसान आंदोलन: नेता करेंगे मीठी बात, पुलिस प्रशासन सख्ती

Bhopal Samachar
भोपाल। इस बार किसान आंदोलन को लेकर सीएम शिवराज सिंह ने एक नए किस्म की रणनीति तैयार की है। उन्होंने इस आंदोलन को रोकने के लिए पूरे मंत्रीमंडल समेत सभी विधायको को काम पर लगा दिया है। रणनीति यह है कि सीएम शिवराज सिंह से लेकर भाजपा के जनपद पंचायत अध्यक्ष तक सभी नेता किसानों से मीठी बात करेंगे और सरकार को किसान हितैषी साबित करेंगे, जबकि जिला प्रशासन और पुलिस सख्त लहजे में बात करेगी और किसान आंदोलन को बिफल बनाने का काम करेंगे। इसी रणनीति के चलते 1500 से ज्यादा बांड भरवाने के बाद शिवराज सिंह मंदसौर में किसानों से बात कर रहे हैं। बीते रोज गृहमंत्री ने बयान दिया कि हमने किसी का बांड भरवाने के निर्देश नही दिए। इधर राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा (कक्काजी) ने कहा किसान आंदोलन की चेतावनी से डरी सरकार किसानों को बाउंड ओवर कर रही है। यह असंवैधानिक कार्रवाई है। किसानों से यदि शांति भंग का अंदेशा है तो उसे प्रूफ करना होगा। यदि बाउंड ओवर की कार्रवाई सरकार बंद नहीं करती है तो प्रदेश के हर विकासखंड में सीएम शिवराज सिंह के पुतले जलाए जाएंगे। इसके बाद 1 से 10 जून तक का आंदोलन अनिश्चितकालीन भी हो सकता है। 1 से 10 जून के बीच किसान गांव से शहर तक कोई भी सामान बेचने नहीं आएंगे। गांव में ही बेचेंगे।

पुलिस को मिला है फ्री हैंड

गौरतलब है कि किसान आंदोलन में शांति भंग होने की आशंका के चलते पुलिस और प्रशासन लगातार किसान नेताओं पर कार्रवाई कर रहे हैं। किसान नेताओं की छंटाई के बाद सूची भी बनाई जा रही है। सरकार आंदोलन का स्वरूप नहीं बिगड़ने देना चाहती है। पिछले साल हुए किसान आंदोलन से सबक लेते हुए सरकार इस बार सख्त है। बताया जाता है कि सरकार ने कानून व्यवस्था के मामले में पुलिस को फ्री हैंड देकर रखा है।

11 जोनल आईजी को अतिरिक्त फोर्स दिया गया

इधर, किसान आंदोलन के मद्देनजर पुलिस मुख्यालय ने सुरक्षा व्यवस्था के लिए 11 जोनल आईजी को अतिरिक्त फोर्स दे दिया है। इसमें उज्जैन, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, चंबल, जबलपुर जैसे बड़े जोन में लगभग 500-500 रंगरूट (नव आरक्षक) और एसएएफ की दो कंपनियां (लगभग एक कंपनी में 100 जवान) दिए गए हैं। इस प्रकार बड़े जोन को लगभग 700 जवान अतिरिक्त दिए गए हैं। जिन जिलों में आंदोलन का असर नहीं होगा, वहां एक-एक कंपनी दी गई है।

जरूरत पड़ी तो जिलों को देंगे फोर्स

डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला ने कहा कि किसान आंदोलन शांतिपूर्वक होगा। जिलों को अतिरिक्त फोर्स दिया गया है। एसपी प्रत्येक गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। किसानों के साथ संवाद भी कर रहे हैं। आईजी इंटेलीजेंस मकरंद देउस्कर का कहना है कि जोनल आईजी के पास अतिरिक्त फोर्स होगा। वही जरूरत पड़ने पर जिलों में फोर्स का मूवमेंट करेंगे। इसके अतिरिक्त एसएएफ की 89 कंपनियां कानून व्यवस्था के लिए दी गई हैं। आंदोलन के उग्र होने की स्थिति में आरएएफ की कंपनियों को भेजा जाएगा।

मुचलके भरवाना एक प्रक्रिया : भूपेंद्र

किसानों से मुचलके भरवाने को लेकर गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि यह सामान्य नियम व प्रक्रिया है। इसका निर्णय कलेक्टर व एसपी लेते हैं। शासन की तरफ से इसे लेकर कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं। शांति भंग की आशंका में प्रशासन अपनी कार्यवाही कर रही है।

क्या कहना है आंदोलन को लेकर किसान संगठनों का

भारतीय किसान यूनियन जिला अध्यक्ष अर्जुनसिंह बोराना ने कहा आंदोलन के दौरान किसान सड़क पर नहीं उतरेगा। यह समझ लो कि गांव बंद है और किसान छुट्टी पर है। लोगों को दूध-सब्जी चाहिए तो वे गांव आकर ले जाए। हम उन्हें गांव आने पर सस्ते दाम में दूध-सब्जी देंगे। उन्हें गांव में कोई हाथ भी नहीं लगाएगा। किसान दस दिन स्वैच्छिक छुट्टी पर रहेंगे। दूध-सब्जी गांव में ही फ्री बांट देंगे पर शहर में लेकर नहीं जाएंगे। किसान नेताओं ने कहा हमारा उद्देश्य किसी को परेशान करना नहीं है। शासन से लेकर जनता तक काे यह बताना चाहते हैं कि किसान कितना परेशान है।

क्या कहना है आंदोलन को लेकर लोगों का

आंदोलन को लेकर मालवा-निमाड़ के लोगों का कहना है कि किसान आंदोलन की सुनते ही पिछले साल की आगजनी और हिंसा का दृश्य सामने आ गया है। गतवर्ष उपद्रवियों के कारण घरों में कैद होने को मजबूर हो गए थे। किसान यदि आंदोलन करना चाहते हैं तो करें, लेकिन जान-माल को नुकसान ना पहुंचाएं। आंदोलन को देखते हुए हम इस बार दूध और सब्जी सहित अन्य जरूरी सामान का पहले ही स्टॉक करने में लग गए हैं। भगवान से दुआ करते हैं कि पिछले साल जैसे हालात ना बनें।

6 जून 2017 को हुआ था गोलीकांड

मंदसौर गोलीकांड 6 जून 2017 को हुआ था। उसके तीन दिन पहले 3 जून से किसानों ने फसल का सही दाम नहीं मिलने सहित कई मुद्दों को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया था। 6 जून को भीड़ ने उग्र रूप ले लिया था, जिसका असर प्रदेशभर में देखने को मिला था। भीड़ ने घटना के दिन मंदसौर के पिपलिया मंडी थाने का घेराव और पथराव के साथ लोहे और लाठियों से तोड़फोड़ की थी। भीड़ को खदेड़ने के लिए पुलिस ने गोली चलाई थी, जिसमें अाधा दर्जन से ज्यादा लोगों की गोली लगने से मौत हो गई थी। इस घटना से कई दुकानों और मकानों को भारी क्षति हुई थी। वहीं कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गय था।

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