योगेन्द्र सिंह पवार, होशंगाबाद। विगत् मंगलवार को सम्पन्न केबिनेट बैठक कर्मचारियों को साधने पर केन्द्रित रही, इससे कोई इंकार नहीं कर सकता। मगर जैसा ढाई दशकों से होता आया है, गैर-सचिवालयीन स्टेनोग्राफर्स के साथ कमोबेश वैसा ही हुआ। प्रदेश के सबसे छोटे इस कैडर की वेतन विसंगति का मुद्दा न तो संयुक्त कर्मचारी मोर्चे ने अपने एजेण्डा में शामिल किया और न ही केबिनेट में इस विषय पर कोई चर्चा हुई। नवगठित स्टेनोग्राफर संघ द्वारा विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, केबिनेट मंत्रियों, जन-प्रतिनिधियों के अलावा प्रशासनिक स्तर पर भी ज्ञापन सौंपे जाकर अपनी मॉंगों की पूर्ति का अनुरोध किया जाता रहा है।
पौने तीन लाख अध्यापकों के शिक्षा विभाग में संविलियन और सातवां वेतनमान देने, अलग-अलग कैडर्स के 50 हजार से अधिक कर्मचारियों के ग्रेड-पे में बढोत्तरी करने, संविदा कर्मचारियों की मॉंगों की बहुत हद तक पूर्ति करने के अलावा अधिकारी-कर्मचारियों के हितों पर निर्णय लेने वाली सरकार का रवैया 1000 के लगभग संख्या वाले स्टेनोग्राफर कैडर के प्रति उदासीन ही रहा है । इसका कारण यही माना जा सकता है कि, इस कैडर के साथ अन्याय का कारण वोटों के गुणा-भाग का ही रहा है।
केबिनेट बैठक में कैडर की उपेक्षा से हताश और आक्रोशित स्टेनोग्राफर संघ के पदाधिकारियों ने मंगलवार शाम वित्त मंत्री जयंत मलैया से भेंट कर ज्ञापन सौंपकर वर्षों से चली आ रही वेतन विसंगति की तरफ उनका ध्यान आकर्षित किया और गैर-सचिवालयीन स्टेनोग्राफर्स का विधि एवं विधायी विभाग, न्याय विभाग, पुलिस विभाग, मंत्रालयीन स्टेनोग्राफर्स की तरह ही 3600/- ग्रेड-पे दिये जाने का आग्रह किया।
संघ के सचिव मुकेश अहिरवार के अनुसार, वित्त मंत्री ने संघ के पदाधिकारियों की बातों को गम्भीरता से सुना और अपर मुख्य सचिव, वित्त विभाग की अध्यक्षता में गठित समिति के सामने मामले को रखवाने तथा सकारात्मक निर्णय लिये जाने हेतु आश्वस्त किया। देखना यही है कि, इस मामले में स्टेनोग्राफर संघ सरकार से अपनी मॉंग पूरी करा पाता है, या फिर एक बार वोटों के गुणा-भाग की राजनीति का शिकार होता है।
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